Budget 2024: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कल यानी 23 जुलाई को वित्त वर्ष 2024-25 का पूर्ण बजट पेश करने वाली हैं। बजट से एक दिन पहले यानी 22 जुलाई को संसद में आर्थिक सर्वे 2023-24 पेश किया गया। आर्थिक सर्वे में इस फाइनेंशियल ईयर में ग्रोथ रेट 6.5 से 7 फीसदी रहने की उम्मीद जताई गई है। इस बीच शेयर बाजार आज मामूली गिरावट के साथ बंद हुआ है। उतार-चढ़ाव भरे कारोबारी सत्र में आज सेंसेक्स 0.13 फीसदी गिरकर 80,502.08 के लेवल पर बंद हुआ। वहीं, निफ्टी 50 में भी 0.09 फीसदी की गिरावट आई और यह 24,509.25 के लेवल पर बंद हुआ। ऐसे में सवाल यह है कि कल यानी बजट डे पर शेयर बाजार का रुझान कैसा रहेगा।
Budget Day पर शेयर बाजार चढ़ेगा या गिरेगा?
शेयर बाजार के निवेशकों में बजट डे को लेकर काफी एक्साइटमेंट है। इसे लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। इस बार बजट से ठीक पहले के एक महीने में बाजार में शानदार तेजी देखी गई है और इस दौरान निफ्टी 50 करीब 5 फीसदी चढ़ा है। ऐसे में बजट डे पर मार्केट किस तरह रिएक्ट करेगा, इसे समझने के लिए हमने यहां बताया है कि पिछले 10 सालों में बजट डे पर निफ्टी 50 की प्रतिक्रिया कैसी रही है।
पिछले 10 सालों के उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार बजट घोषणा के दिन (1 फरवरी) भारतीय शेयर बाजार दस में से आठ सत्रों में गिरावट के साथ बंद हुआ है। पिछले 10 सालों में बजट डे पर सबसे बड़ी तेजी 2021 में देखने को मिली है। इस दिन निफ्टी में करीब 5 फीसदी का शानदार उछाल आया था। हालांकि, इसके पहले 2020 के बजट में बाजार करीब 2.4 फीसदी टूट गया था, जो कि इन 10 सालों में बजट डे पर सबसे बड़ी गिरावट है।
Budget Day पर शेयर बाजार के रुझान पर क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स?
SMC ग्लोबल सिक्योरिटीज लिमिटेड के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर सुभाष चंद्र अग्रवाल ने कहा, “बाजार ग्रोथ और सोशल स्पेंडिंग की उम्मीद कर रहा है, इसलिए मुझे कोई नाटकीय उछाल नहीं दिखता। फंडामेंटल मजबूत बना हुआ है। मुझे उम्मीद है कि बजट वीक के दौरान यह 25000 के लेवल को टेस्ट कर सकता है। यह रेंज (24000-25000) निचले स्तर पर खरीदारी का अच्छा मौका है। वहीं, उच्च स्तर पर मुनाफावसूली की जा सकती है। स्पेसिफिक सेक्टर का परफॉर्मेंस बजट एलोकेशन पर निर्भर करेगा।”
उन्होंने आगे कहा, “शेयरों के लिए होल्डिंग पीरियड को दो से तीन साल तक बढ़ाने की बात चल रही है, जिसका बाजार पर नेगेटिव इंपैक्ट पड़ सकता है। हालांकि, सरकार अन्य एसेट्स के लिए होल्डिंग अवधि को कम करके इसकी भरपाई कर सकती है। डेरिवेटिव मार्केट में सट्टेबाजी को रोकने के उपायों की भी अफवाहें हैं, संभावित रूप से बढ़े हुए लॉट साइज या ट्रांजेक्शन टैक्स के माध्यम से। सकारात्मक बात यह है कि मुझे कैपिटल एक्सपेंडिचर और प्राइवेट इनवेस्टमेंट को आकर्षित करने पर फोकस जारी रहने की उम्मीद है। हाउसिंग, सीमेंट, इन्फ्रॉस्ट्रक्चर और आईटी जैसे सेक्टर्स को इसका लाभ मिलना चाहिए।”