नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने हाल ही में एक नियम जारी किया है जिसके तहत मार्जिन फंडिंग के लिए इस्तेमाल किए जा सकने वाले शेयरों की लिस्ट को काफी कम कर दिया गया है। मनीकंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार, पहले 1730 शेयर इस लिस्ट में शामिल थे, जिन्हें घटाकर अब 720 कर दिया गया है। जिन शेयरों को हटाया गया है उनमें अदाणी पावर, यस बैंक, सुजलॉन, भारत डायनेमिक्स और पेटीएम जैसी नामचीन कंपनियां शामिल हैं। ये बदलाव 1 अगस्त 2024 से लागू होंगे।
NSE के नए नियमों के अनुसार, 1 अगस्त से सिर्फ वही शेयर मार्जिन फंडिंग के लिए स्वीकार किए जाएंगे जो पिछले छह महीनों में कम से कम 99% दिनों में कारोबार करते हैं और जिन पर 1 लाख रुपये के ऑर्डर के लिए लगने वाली इम्पैक्ट कॉस्ट 0.1% से ज्यादा नहीं हो।
क्या पड़ेगा व्यापारियों और निवेशकों पर असर?
शेयर बाजार में पैसा लोन लेने के लिए, बैंक और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) को गारंटी के तौर पर संपत्ति गिरवी रखने की जरूरत होती है। इस संपत्ति को कॉलेटरल कहा जाता है। अगर कर्ज लेने वाला कर्ज नहीं चुका पाता है, तो उधार देने वाली कंपनी कॉलेटरल को बेचकर अपना पैसा वसूल सकती है। कॉलेटरल के तौर पर लोग आम तौर पर घर, गाड़ी, सोना और कंपनी के शेयर रखते हैं।
इसी तरह, मार्जिन ट्रेडिंग में, ब्रोकर व्यापारियों के पास रखे शेयरों के बदले में उन्हें कम अवधि का लोन देते हैं। लेकिन, सभी कंपनियों के शेयर कॉलेटरल के रूप में स्वीकार नहीं किए जाते। नियामक संस्थाएं ये तय करती हैं कि कौन से शेयर कॉलेटरल के तौर पर इस्तेमाल किए जा सकते हैं। अब नए नियमों के कारण कम शेयर ही कॉलेटरल के रूप में मान्य होंगे।
क्या है मार्जिन ट्रेडिंग सुविधा (MTF)?
मार्जिन ट्रेडिंग सुविधा (MTF) एक तरह से ‘आज खरीदें, बाद में भुगतान करें’ मॉडल की तरह है। यह निवेशकों को कुल व्यापार मूल्य के केवल एक हिस्से के शेयर खरीदने की अनुमति देता है। ब्रोकर बाकी के निवेश को कवर करता है, उधार ली गई राशि पर ब्याज लगाता है। उदाहरण के लिए, 100 रुपये के भाव पर 1,000 शेयर खरीदने के लिए, एक निवेशक को 1 लाख रुपये की आवश्यकता होगी। MTF के साथ, उन्हें केवल 30% का भुगतान करना होता है, जबकि ब्रोकर बाकी 70% ब्याज पर देता है।
NSE के नए नियमों के अनुसार कौन से शेयर अब कॉलेटरल के तौर पर मान्य नहीं होंगे?
नए नियमों के तहत, अदाणी पावर, यस बैंक, सुजलॉन, HUDCO, भारत डायनेमिक्स, भारती हेक्साकॉम, IRB इंफ्रा, NBCC, पेटीएम, इनोक्स विंड और जेबीएम ऑटो जैसे शेयर अब मार्जिन फंडिंग के लिए कॉलेटरल के रूप में मान्य नहीं होंगे। कुल मिलाकर, 1010 शेयरों को इस लिस्ट से हटा दिया गया है।
इसका बाजार पर क्या असर होगा?
मार्जिन ट्रेडिंग का फायदा व्यापारियों और ब्रोकर्स दोनों को मिलता है। व्यापारी ज्यादा पैसा लगाने के लिए लोन ले सकते हैं और बड़ा मुनाफा कमाने की कोशिश कर सकते हैं, वहीं ब्रोकर्स दिए गए लोन पर ब्याज कमाते हैं।
CNBC-TV18 की रिपोर्ट के अनुसार, NSE का यह नया आदेश मार्जिन फंडिंग से जुड़े जोखिम को कम करने का लक्ष्य रखता है। जो शेयर अब भी कॉलेटरल के तौर पर मान्य हैं, वे काफी ज्यादा ट्रेड होने वाले और मजबूत कंपनियों के माने जाते हैं।