Budget 2024-25: सरकार ‘2047 तक सभी के लिए बीमा’ के लक्ष्य को हासिल करने के लिए आगामी बजट सत्र के दौरान इंश्योरेंस एक्ट, 1938 में संशोधन कर सकती है। सूत्रों ने बताया कि संशोधन विधेयक में शामिल किए जा सकने वाले कुछ प्रावधानों में कॉम्प्रिहेंसिव लाइसेंस, सॉल्वेंसी मानदंडों में राहत, कैप्टिव लाइसेंस जारी करना, निवेश नियमों में बदलाव, इंटरमीडियरीज के लिए एकमुश्त रजिस्ट्रेशन और बीमा कंपनियों को दूसरे फाइनेंशियल प्रोडक्ट बेचने की अनुमति देना भी शामिल हैं। इस कदम से बैंकिंग सेक्टर की तरह ही अलग-अलग तरह की बीमा कंपनियों को बिजनेस में उतरने की इजाजत दी जा सकती है। बैंकिंग सेक्टर को इस समय यूनिवर्सल बैंक, स्मॉल फाइनेंस बैंक और पेमेंट्स बैंक के रूप में क्लासिफाई किया गया है।
कॉम्प्रिहेंसिव लाइसेंस के प्रावधान से जीवन बीमा कंपनियों को हेल्थ इंश्योरेंस या जनरल इंश्योरेंस पॉलिसियों को ‘अंडरराइट’ करने की इजाजत मिल जाएगी। इंश्योरेंस एक्ट, 1938 के मौजूदा प्रावधानों के तहत, जीवन बीमा कंपनियां केवल जीवन बीमा कवर ही दे सकती हैं, जबकि साधारण बीमा कंपनियां हेल्थ, मोटर, आग लगने जैसे नॉन-इंश्योरेंस प्रोडक्ट दे सकती हैं।
फिलहाल इंश्योरेंस रेगुलेटरी डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (IRDAI) किसी बीमा कंपनी को कॉम्प्रिहेंसिव लाइसेंस की इजाजत नहीं देता है। ऐसे में एक बीमा कंपनी एक यूनिट के तौर पर जीवन और गैर-जीवन, दोनों उत्पाद नहीं बेच सकती है। संसोधन के बाद LIC जैसी जीवन बीमा कंपनियों को फायदा हो सकता है, जो कॉम्प्रिहेंसिव लाइसेंस पाने के बाद जीवन बीमा के साथ-साथ हेल्थ इंश्योरेंस भी बेच सकेंगी।
सूत्रों ने बताया कि विधेयक का मसौदा तैयार है और इसे मंजूरी के लिए मंत्रिमंडल के पास भेजा जाना है। उन्होंने कहा कि वित्त मंत्रालय को उम्मीद है कि इसे आगामी बजट सत्र में पेश किया जाएगा।
सूत्रों ने बताया कि प्रस्तावित संशोधन मुख्य रूप से बीमा पॉलिसीधारकों के हितों को बढ़ावा देने, पॉलिसीधारकों को मिलने वाले रिटर्न में सुधार करने, अधिक कंपनियों के इस फील्ड में आने को आसान बनाने, आर्थिक विकास और रोजगार को बढ़ावा देने, बीमा इंडस्ट्री की कारोबारी और फाइनेंशियल दक्षता बढ़ाने पर केंद्रित हैं।
फाइनेंस मिनिस्ट्री ने इससे पहले दिसंबर 2022 में इंश्योरेंस एक्ट 1938 और इंश्योरेंस रेगुलेटरी डेवलपमेंट एक्ट 1999 में प्रस्तावित संशोधनों पर टिप्पणियां मंगाई थीं।