पिछले दो सालों में प्रमोटरों और प्राइवेट इक्विटी फंड द्वारा हिस्सेदारी की बिक्री में तेज बढ़ोतरी देखी गई है, लेकिन इक्विटी सप्लाई की गति धीमी होने की संभावना नहीं है। यह कहना है एक्सिस एसेट मैनेजमेंट के CIO आशीष गुप्ता का। गुप्ता ने अपने लेटेस्ट नोट Acumen में कहा कि उनके गणित के अनुसार 5,94,320 करोड़ रुपये की इक्विटी सप्लाई बाजार में आने की संभावना है।
सप्लाई की पहली कैटेगरी आईपीओ पाइपलाइन से आती है, जिसमें अगले कुछ महीनों में 93000 करोड़ रुपये का इश्यू देखने को मिल सकता है। दूसरी कैटेगरी प्राइवेट इक्विटी फंडों द्वारा पब्लिक कंपनियों में स्टेक की सप्लाई है। गुप्ता के अनुसार, इन फंडों के पास वर्तमान में लिस्टेड कंपनियों में 2,77,000 करोड़ रुपये की हिस्सेदारी है और इनमें से 2,17,000 करोड़ रुपये से अधिक की हिस्सेदारी 3 साल से अधिक पुरानी है और इसलिए इसे जल्द से जल्द बाजार में ऑफर किया जाना चाहिए।
तीसरी कैटेगरी में हाल ही में आए 91 आईपीओ के प्री-आईपीओ लॉक-इन शेयर शामिल हैं, जो अगले कुछ महीनों में बाजार में आने की संभावना है। गुप्ता का मानना है कि, यह देखते हुए कि औसतन ये आईपीओ अपने इश्यू प्राइस से 79% ऊपर हैं, इस बात की अच्छी संभावना है कि यह सप्लाई बाजार में आएगी।
इसके अलावा, प्राइवेट इक्विटी फंडों ने निजी कंपनियों में 4,67,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है। इसमें से 3,70,000 करोड़ रुपये का निवेश 3 साल से ज्यादा पुराना है। मान लें कि इनमें से 60% पब्लिक मार्केट रूट के जरिए बाहर निकलते हैं और लिस्टिंग पर इनवेस्टेड कैपिटल का 2 गुना हिस्सा कमाते हैं, और 50 फीसदी आईपीओ में बेचे जाएंगे, तो यह संभावित सप्लाई का 2,24,000 करोड़ रुपये होगा।
हालांकि, गुप्ता ने विस्तार से यह नहीं बताया कि सप्लाई की इस बड़ी मात्रा का स्टॉक की कीमतों पर क्या असर पड़ सकता है। उन्होंने कहा, “मजबूत और अच्छी तरह से विकसित फाइनेंशियल मार्केट कैपिटल जुटाने में अहम भूमिका निभाते हैं और देश की आर्थिक वृद्धि में अहम योगदान देते हैं। बढ़ती इक्विटी कल्चर इसे ग्रोथ कैपिटल का एक भरोसेमंद सोर्स बनने में मदद करेगी।”