दिग्गज आईटी कंपनी कॉग्निजेंट टेक्नोलॉजी सॉल्यूशंस (Cognizant Technology Solutions) ने 9 जुलाई को बताया कि उसके चीफ फाइनेंस ऑफिसर (CFO) जतिन दलाल ने विप्रो की ओर से दाखिल नॉन-कॉम्पिट मुकदमे में समझौता कर लिया है। कॉग्निजेंट ने इस मुकदमे के सेटलमेंट के लिए जतिन को करीब 5,05,087 डॉलर (करीब 4.21 करोड़ रुपये) दिए। कॉग्ननिजेंट ने एक नियामकीय फाइलिंग में बताया, “समझौते की शर्तें गोपनीय हैं। किसी भी पक्ष द्वारा जिम्मेदारी स्वीकार किए बिना इसपर सहमति बनी है। इस समझौते से श्री दलाल और विप्रो के बीच सभी लंबित विवादों का समाधान हो गया है।” कॉग्निजेंट ने यह भी कहा कि विप्रो के पूर्व सीनियर वाइस प्रेसिडेंट, मोहम्मद हक का मुकदमा भी विप्रो के साथ सुलझा लिया गया है।
बयान में दलाल के हवाले से कहा गया, “मैं विप्रो के साथ अपनी यात्रा के लिए आभारी हूं और मुझे खुशी है कि यह मामला अब बीती बात हो गई हैं। मैं अपने क्लाइंट्स, कर्मचारियों और शेयरधारकों के लिए वैल्यू बनाते हुए कॉग्निजेंट के ग्रोथ एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए उत्सुक हूं।”
विप्रो के चीफ ह्यूमन रिसोर्स ऑफिसर सौरभ गोविल ने कहा कि कंपनी इस मामले को सुलझाकर खुश है। “हमें खुशी है कि हमारे कॉन्ट्रकैट से जुड़े अधिकारों की रक्षा करते हुए इस मुद्दे को सुलझा लिया गया है। हम जतिन को उनके भविष्य के प्रयासों के लिए शुभकामनाएं देते हैं।”
बता दें कि विप्रो ने नवंबर में दलाल के खिलाफ मुकदमा दायर किया था, जिसमें उन पर आरोप लगाया गया कि उन्होंने अपने जॉब कॉन्ट्रैक्ट में दर्ज नॉन-कॉम्पिट शर्तों का उल्लंघन किया है। नॉन-कॉम्पिट के तहत कर्मचारियों पर नौकरी छोड़ने के अगले 12 महीने तक किसी विरोधी कंपनी में शामिल नहीं होने की शर्त रखी गई थी। हालांकि जतिन दलाल विप्रो छोड़ने के कुछ समय ही बाद कॉग्निजेंट में चले गए। विप्रो ने इसे अपनी नॉन-कॉम्पिट शर्तों का उल्लंघन बताया और उनके खिलाफ केस कर दिया।
बेंगलुरु सिटी सिविल कोर्ट ने 3 जनवरी को हुई सुनवाई में इसे ऑर्बिट्रेशन के लिए भेज दिया था। विप्रो ने 12 जनवरी को इस ममामले में एक बयान देते हुए कहा कि कंपनी अपने कॉन्ट्रैक्ट से जुड़ी शर्तों और हितों के लड़ रही है। इसमें उसमें कुछ भी व्यक्तिगत या किसी को निशाना बनाकर कर की कार्रवाई का मामला नहीं है। कंपनी ने अपने पूर्व चीफ फाइनेंस ऑफिसर जतिन दलाल और सीनियर वाइस-प्रेसिडेंट मोहम्मद हक के खिलाफ मुकदमा दायर किया था।