भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने हिंडनबर्ग रिसर्च, अमेरिका के हेज फंड प्रबंधक मार्क किंगडन तथा 4 अन्य को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। नोटिस में आरोप लगाया गया है कि हिंडनबर्ग ने अदाणी समूह के खिलाफ शॉर्ट पोजिशन लेने के लिए सांठगांठ के जरिये उस जानकारी का इस्तेमाल किया, जो सार्वजनिक ही नहीं की गई थी।
हिंडनबर्ग की वेबसाइट पर छपे कारण बताओ नोटिस में कहा गया है कि गौतम अदाणी की अगुआई वाले समूह के खिलाफ हिंडनबर्ग की रिपोर्ट प्रकाशित होने से पहले किंगडन ने मॉरीशस के एक फंड के जरिये शॉर्ट पोजिशन ली थी।
यह रिपोर्ट आने के बाद समूह की कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट आई थी और अदाणी समूह का बाजार पूंजीकरण एक झटके में 150 अरब डॉलर कम हो गया था। सेबी की जांच में पाया गया है कि पूरी शॉर्ट पोजिशन रिपोर्ट आने के बाद बेच दी गई और 183 करोड़ रुपये का तगड़ा मुनाफा कमाया गया।
मई 2021 में किंगडन ने हिंडनबर्ग के साथ समझौता किया गया था, जिसमें कहा गया था कि हिंडनबर्ग जिन शेयरों पर शोध कर रही है, उनकी ट्रेडिंग से होने वाले मुनाफे का 30 फीसदी हिंडनबर्ग को दे दिया जाएगा।
कारण बताओ नोटिस में आरोप लगाया गया है कि हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट के डिस्क्लेमर में लिखा था कि उसने भारत से बाहर ट्रेड होने वाले शेयरों में ही निवेश किया है, जो पूरी तरह गलतबयानी थी क्योंकि उसने किंगडन की पोजिशन से होने वाले मुनाफे में सीधे हिस्सा पाने का करार किया था और इस बात को छिपा लिया।
सेबी ने 26 जून को जारी कारण बताओ नोटिस में कहा है, ‘बयान में हिंडनबर्ग ने कहा था कि भारत के बाजार से उसका कोई लेना-देना नहीं है, जो सच नहीं था।’ हिंडनबर्ग ने सेबी के नोटिस को बकवास और भ्रष्टाचार एवं धोखाधड़ी का पर्दाफाश करने वाले की आवाज दबाने की कोशिश बताया। अमेरिका की शोध फर्म ने यह आरोप भी लगाया कि रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद सेबी ने ब्रोकरों पर शॉर्ट पोजिशन बंद करने का दबाव दिया और चुनौती भरे समय में अदाणी के शेयर को और नीचे गिरने से बचा लिया।
6 नोटिस भेजे गए हैं जिनमें अदाणी एंटरप्राइजेज में शॉर्ट पोजिशन लेने वाले हिंडनबर्ग के संस्थापक नैथन एंडरसन, किंगडन की ऐसेट मैनेजमेंट फर्म किंगडन कैपिटल, किंगडन ऑफशोर मास्टर फंड और के इंडिया ऑपर्च्यूनिटीज फंड के नाम शामिल हैं। के इंडिया ऑपर्च्यूनिटीज फंड मॉरिशस में सेबी पंजीकृत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक है।
कोटक महिंद्रा इंटरनैशनल के एक प्रवक्ता ने बयान जारी कर कहा कि केआईओएफ मॉरीशस के वित्तीय सेवा आयोग के दायरे में आती है। विदेशी ग्राहकों को भारत में निवेश की सुविधा देने के मकसद से इस फंड की बुनियाद 2013 में रखी गई थी। फंड ग्राहकों को अपने साथ जोड़ने से पहले केवाईसी प्रक्रिया का पालन करता है और सभी कानूनों का ध्यान रखते हुए ही निवेश करता है। हमने अपने कामकाज के बारे में हमेशा नियामकों का सहयोग किया है और आगे भी करते रहेंगे।
प्रवक्ता ने कहा, ‘कोटक महिंद्रा इंटरनैशनल और कोटक इंडिया ऑपर्च्यूनिटीज फंड ने स्पष्ट किया है कि हिंडनबर्ग कभी उनकी ग्राहक नहीं रही है और न ही उसने फंड में निवेश किया है। फंड को यह भी पता नहीं था कि हिंडनबर्ग उसके किसी निवेशक का पार्टनर थी। केएमआईएल को फंड के निवेशकों ने बताया है कि उन्होंने मूल रूप से इसमें निवेश किया था, किसी और की तरफ से नहीं।’
कारण बताओ नोटिस के अनुसार हिंडनबर्ग ने अदाणी समूह पर अपनी रिपोर्ट 30 नवंबर, 2022 को किंगडन के पास भेजी। इसके कुछ दिन बाद ही किंगडन ऑफशोर मास्टर फंड ने केआईओएफ क्लास एफ फंड के 100 फीसदी प्रार्टिसिपेटिंग रीडीमेबल शेयर खरीदना शुरू कर दिया।
10 जनवरी, 2023 को केआईओएफ का डेरिवेटिव ट्रेडिंग खाता सक्रिय हुआ था और इसने अदाणी एंटरप्राइजेज के 8.50 लाख शेयरों की शॉर्ट पोजीशन ली। रिपोर्ट जारी होने के बाद अदाणी एंटरप्राइजेज का शेयर 59 फीसदी तक टूट गया था।
सेबी ने यह आरोप भी लगाया था कि हिंडनबर्ग ने शोध विश्लेषक नियमन के तहत पंजीकरण कराए बगैर अदाणी समूह की भारत में सूचीबद्ध कंपनियों पर शोध कर नियमों का उल्लंघन किया है। सेबी ने नोटिसों का जवाब देने के लिए 21 दिन का समय दिया है। इसके बाद वह उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर सकता है। हालांकि सेबी का आदेश हिंडनबर्ग और किंगडन पर लागू हो पाएगा इसमें संदेह है क्योंकि ये भारत में काम ही नहीं करतीं।