4 जून को चुनाव नतीजों की घोषणा के बाद एक महीने के अंदर भारतीय शेयर बाजारों में 11 प्रतिशत का उछाल देखा गया है। यह भारतीय शेयरों में विदेशी निवेशकों की नए सिरे से जगी दिलचस्पी से प्रेरित एक मजबूत रैली का परिणाम है। शेयर बाजारों में आई 11 प्रतिशत की तेजी, मई 2019 और मई 2014 के बाद से चुनाव के बाद दर्ज किया गया सबसे मजबूत उछाल है। मई 2019 में आम चुनावों के एक महीने बाद बाजारों में 0.1 प्रतिशत की मामूली गिरावट देखी गई, जबकि मई 2014 में बाजार 5.8 प्रतिशत तक बढ़ गए थे। अब तक का सबसे ज्यादा गेन मई 2009 में दर्ज किया गया, जब चुनाव परिणामों के एक महीने बाद शेयर बाजारों में लगभग 22 प्रतिशत की रैली आई थी।
भारत के बेंचमार्क सेंसेक्स ने 3 जुलाई को पहली बार 80,000 के आंकड़े को छुआ और 4 जुलाई को एक नए रिकॉर्ड 80,049.67 पर बंद हुआ। निफ्टी ने भी 24,300 से ऊपर बंद होकर एक नया ऑल टाइम हाई क्रिएट किया। इस साल के आम चुनावों के बाद, बीएसई मिडकैप और स्मॉलकैप दोनों सूचकांकों में बड़ी वृद्धि हुई। चुनाव परिणाम सामने आने के एक महीने के अंदर बीएसई मिडकैप 15.4 प्रतिशत और स्मॉलकैप 19.6 प्रतिशत बढ़ा है।
केवल 139 सत्रों में 70,000 से 80,000 हुआ सेंसेक्स
सेंसेक्स ने केवल 139 कारोबारी सत्रों में 70,000 से 80,000 तक की छलांग लगाई, जो अब तक की सबसे तेज 10,000 अंकों की बढ़त है। 11 दिसंबर 2023 को इंडेक्स 70,000 के पार पहुंच गया था। दिलचस्प बात यह है कि सेंसेक्स को 40,000 से 80,000 तक पहुंचने में 5 साल से थोड़ा अधिक समय लगा। इसके उलट, 10,000 से 40,000 तक पहुंचने में 14 साल लग गए।
2024 के आखिर तक 90000 पर होगा सेंसेक्स!
अनुभवी बाजार विशेषज्ञ और सुंदरम म्यूचुअल फंड के पूर्व मैनेजिंग डायरेक्टर सुनील सुब्रमण्यम का अनुमान है कि साल के अंत तक सेंसेक्स 90,000 तक पहुंच सकता है। सुब्रमण्यम ने जोर दिया कि विदेशी निवेश की वापसी से बाजार में तेजी को बढ़ावा मिलना चाहिए। जुलाई में बाजार का ध्यान केंद्रीय बजट की घोषणाओं, मानसून की प्रगति, महंगाई अनुमानों और Q1FY25 आय जैसे प्रमुख कारकों पर केंद्रित होगा। ऐतिहासिक रूप से, जुलाई ने पिछले दो दशकों में 80% मामलों में सकारात्मक रुझान दिखाया है।