Adani-Hindenburg Case: हिंडनबर्ग-अदाणी विवाद मामले में अब एक अमेरिकी हेज फंड, किंगडन कैपिटल मैनेजमेंट (Kingdon Capital Management) का नाम सामने निकलकर सामने आया है। हिंडनबर्ग ने इसी हेज फंड के जरिए अदाणी ग्रुप के शेयरों (Adani Stocks) को शॉर्ट किया था। हिंडनबर्ग रिसर्च ने भी एक बयान में इस बात की पुष्टि की थी कि उसने एक ‘इनवेस्टर पार्टनर’ के साथ साझेदारी करके एक ऑफशोर फंड स्ट्रक्चर के जरिए अदाणी ग्रुप की कंपनियों के शेयरों को शॉर्ट किया था। यह इनवेस्टर पार्टनर कोई और नहीं, बल्कि किंगडन कैपिटल थी।
हिंडनबर्ग रिसर्च ने जनवरी 2023 में अदाणी ग्रुप को लेकर एक रिपोर्ट जारी की थी। इस रिपोर्ट में अदाणी ग्रुप की कंपनियों पर स्टॉक में हेरफेर और अकाउंटिंग फ्रॉड में शामिल होने का आरोप लगाया गया था। इस रिपोर्ट के बाद अदाणी ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट आई थी।
आइए इस गिरावट में अहम भूमिका निभाने वाली अमेरिकी हेज फंड, किंगडन कैपिटल और इसके फाउंडर मार्क किंगडन के बारे में जानते हैं-
किंगडन कैपिटल मैनेजमेंट क्या है?
यह एक अमेरिकी इनवेस्ट मैनेजमेंट कंपनी है, जिसकी स्थापना हेज फंड मैनेजर मार्क किंगडन ने की है। यह कंपनी HNI और इंस्टीट्यूशनल ग्राहकों को “ग्रोथ और वैल्यू स्टॉक्स” में निवेश से जुड़ी सेवाएं देती है। इसे करेंसी फ्यूचर्स और ऑप्शंस में शानदार रिटर्न के लिए लॉन्ग और शॉर्ट इक्विटी स्ट्रैटजी के लिए भी जाना जाता हैं।
किंगडन कैपिटल का साइज कितना बड़ा है?
कंपनी के पास फिलहाल 7 विदेशी क्लाइंट हैं और मार्च तिमाही तक इसका एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) 82.35 करोड़ डॉलर (करीब 6,800 करोड़ रुपये) था। अपनी हालिया फाइलिंग में कंपनी ने 91.57 करोड़ डॉलर की सिक्योरिटीज मैनेज करने की जानकारी दी थी। किंगडन कैपिटल मैनेजमेंट के टॉप होल्डिंग में- द फाइनेंशियल सेलेक्ट सेक्टर SPDR फंड, टेनेट हेल्थकेयर कॉर्पोरेशन, FTAI एविएशन, APi ग्रुप कॉरपोरेशन और प्रैक्सिस प्रिसिजन मेडिसिन शामिल हैं।
मार्क किंगडन कौन हैं?
मार्क किंगडन एक अनुभवी हेज फंड मैनेजर हैं। किंगडन ने कोलंबिया कॉलेज से ग्रैजुएशन के बाद 1973 में अपना करियर शुरू किया था। 1975 में सेंचुरी कैपिटल एसोसिएटेड के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने पेंशन फंड एडमिनिस्ट्रेटर के रूप में शुरुआत की। उन्होंने 1983 में 20 लाख डॉलर की शुरुआती पूंजी के साथ किंगडन कैपिटल मैनेजमेंट की शुरुआत की। 2007 तक फर्म बढ़कर 5.9 अरब डॉलर की हेज फंड बन गई। इसे एक समय दुनिया के टॉप 100 हेज फंड के रूप में भी नामित किया गया था। इस फंड ने 1983 से 2000 तक सालाना 22.99 प्रतिशत CAGR की दर से रिटर्न दिया था।
SEBI के क्या आरोप हैं?
सेबी के कारण बताओ नोटिस के मुताबिक, किंगडन का हिंडनबर्ग के साथ प्रॉफिट शेयर करने का समझौता था। इस समझौते के तहत हिंडनबर्ग को उसकी रिसर्च के आधार पर होने वाली कमाई का 30% हिस्सा किंगडम से मिलता था। अदाणी मामले में यह हिस्सा कम करके 25 प्रतिशत कर दिया गया था। नोटिस में कहा गया है कि किंगडन ने दिसंबर में ऑफशोर फंड स्ट्रक्चर बनाया और जनवरी में उसने अदाणी एंटरप्राइजेज के शेयरों में शॉर्ट पोजिशन लेने के लिए 2 किस्तों में इस फंड में 43 मिलियन डॉलर ट्रासंफर किए।
किंगडन कैपिटल ने अदाणी के शेयरों को शॉर्ट कर कितना पैसा कमाया?
हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपने बयान में कहा कि उसने ‘इनवेस्टर पार्टनर’ के जरिए अदाणी के शेयरों को शॉर्ट करके 4.1 मिलियन डॉलर (करीब 34 करोड़ रुपये) की कमाई हुई थी। यह इस मामले में प्रॉफिट शेयर करने का समझौता 25:75 के अनुपात में था। इसलिए किंगडन कैपिटल को अदाणी के शेयरों को शॉर्ट करके हिंडनबर्ग से तीन गुना, यानी करीब 12.3 मिलियन डॉलर (करीब 102 करोड़) की कमाई हुई।