HDFC बैंक ने अप्रैल-जून तिमाही के लिए शेयरहोल्डिंग पैटर्न जारी किया है। इस अवधि के दौरान बैंक में इससे पिछली तिमाही के मुकाबले फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टर्स (FPIs) की होल्डिंग में गिरावट देखने को मिली।
इसके परिणामस्वरूप बैंक में 3-4 अरब डॉलर का इनफ्लो देखने को मिल सकता है। दरअसल, MSCI सूचकांकों में बैंक का वेटेज मौजूदा लेवल से बढ़ने वाला है। BSE के आंकड़ों के मुताबिक, मार्च तिमाही में फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टर्स की होल्डिंग 55.54% से घटकर 54.83% हो गई।
इस होल्डिंग में से भारतीय इकाई में फॉरेन पोर्टफोलियो इनेवस्टर्स की हिस्सेदारी 47.17 पर्सेंट है, जबकि मार्च तिमाही में यह आंकड़ा 47.83 पर्सेंट था। बाकी हिस्सेदारी अमेरिका में लिस्टेड HDFC बैंक के शेयरों या अमेरिकन डिपॉजिटरी रिसीट (ADR) में मौजूद है। HDFC बैंक में FPI होल्डिंग 55.5 पर्सेंट से नीचे गिर गई, जिससे MSCI सूचकांकों में बैंक का वेटेज बढ़ेगा। HDFC बैंक में विदेशी निवेश की सीमा फिलहाल 74 पर्सेंट है।
ब्रोकरेज फर्म BoFA सिक्योरिटीज ने अपने नोट में लिखा है कि अगर जून तिमाही के दौरान HDFC बैंक में FPI शेयरहोल्डिंग में और गिरावट होती है, तो यह MSCI के हेडरूम नॉर्म्स के कंप्लायंस के दायरे में होगा और इससे MSCI फंडों से 34,000 करोड़ की खरीदारी का रास्ता साफ हो सकेगा। इसके साथ ही HDFC बैंक के लिए FII हेडरूम बढ़कर 25 पर्सेंट हो गया है। फॉरेन हेडरूम का मतलब कंपनियों में विदेशी निवेशकों के पास उपलब्ध शेयरों का प्रतिशत होता है।
पिछले एक महीने के दौरान कंपनी के शेयरों में 10 पर्सेंट की बढ़ोतरी देखने को मिली है। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) में 2 जुलाई को बैंक का शेयर 1.49 पर्सेंट की बढ़त के साथ 1,730.60 रुपये पर बंद हुआ।