निफ्टी-50 इंडेक्स नए और सुधरे हुए रूप में नजर आने वाला है। वायदा एवं विकल्प (F&O) के लिए शेयरों के चयन के संशोधित मानक नई सूचीबद्ध कंपनियों को बेंचमार्क इंडेक्स में शामिल होने की राह बना रहे हैं। इस इंडेक्स को पैसिव फंड ट्रैक करते हैं जिनकी संयुक्त प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियां 3.5 लाख करोड़ रुपये (44 अरब डॉलर) हैं।
छह साल में पहली बार बाजार नियामक सेबी ने डेरिवेटिव सेगमेंट के लिए शेयरों के चयन की प्रक्रिया में बदलाव किया है। इस सेगमेंट में रोजाना 400 लाख करोड़ रुपये का कारोबार होता है। इस कदम को एफऐंडओ सेगमेंट में काट-छांट के रूप में देखा जा रहा है, जहां अभी 182 कंपनियों के एकल शेयरों के सौदे जारी होते हैं।
विश्लेषकों के मुताबिक एफऐंडओ सेगमेंट में कारोबार के लिए उपलब्ध कंपनियों की संख्या 200 के पार जाने की उम्मीद है और कुछ नई कंपनियां पुरानी की जगह ले सकती हैं जो कम लिक्विड हैं।
किसी कंपनी के लिए व्यापक तौर पर ट्रैक किए जाने वाले निफ्टी-50 इंडेक्स का हिस्सा बनने के लिए एफऐंडओ सेगमेंट का हिस्सा बनना आवश्यक है। चूंकि एक्सचेंजों ने जनवरी 2022 के बाद से किसी भी नई कंपनी को डेरिवेटिव सेगमेंट में शामिल नहीं किया है।
पिछले कुछ वर्षों में सूचीबद्ध हुई कुछ बड़ी कंपनियों को निफ्टी इंडेक्स में शामिल होने का मौका नहीं मिला, हालांकि वे एक्सचेंजों की तरफ से तय अन्य मात्रात्मक मानकों को पूरा करती थीं। पर इसमें जल्द बदलाव हो सकते हैं।
नुवामा ऑल्टरनेटिव ऐंड क्वांटिटेटिव रिसर्च के प्रमुख अभिलाष पगारिया ने कहा कि सेबी की घोषणा से यह भरोसा मिलता है कि नए एफऐंडओ सदस्यों को जोड़ने की रफ्तार तेज रहेगी। अगर हम मान लें कि जियो फाइनैंशियल और जोमैटो अगस्त के तीसरे हफ्ते से पहले एफऐंडओ सेगमेंट का हिस्सा बनती हैं तो इसकी काफी संभावना है कि उन्हें सितंबर की समीक्षा में निफ्टी-50 में प्रवेश मिल जाए।
सेबी (SEBI) के परिपत्र जारी करने के बाद एफऐंडओ के लिए चयन के नए मानक प्रभावी हो जाएंगे। नियामकीय सूत्रों ने कहा कि नए शेयरों को शामिल करने का काम परिपत्र जारी होने के तुरंत बाद हो सकता है। हालांकि मौजूदा शेयरों की निकासी के काम में तीन से छह महीने का समय लग सकता है।
विश्लेषकों का कहना है कि अगर ये बदलाव अगस्त में होने वाली निफ्टी की पुनर्संतुलन की कवायद से पहले होते हैं तो जियो फाइनैंशियल, जोमैटो और ट्रेंट, एलटीआईमाइंडट्री, डिविज लैब और आयशर मोटर्स की जगह ले सकती हैं।
साथ ही इसके परिणामस्वरूप जियो फाइनैंशियल, जोमैटो और ट्रेंट में 3,800-3,800 करोड़ रुपये का पैसिव निवेश आएगा। दूसरी ओर, एलटीआईमाइंडट्री, डिविज लैब और आयशर मोटर्स से 1,600-1,600 करोड़ रुपये से ज्यादा की निकासी हो सकती है।
पगारिया ने कहा कि अगर अगस्त के तीसरे हफ्ते से पहले एफऐंडओ शेयरों की सूची में कोई बदलाव नहीं होता तो ट्रेंट और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स को निफ्टी में शामिल किया जा सकता है और ये एलटीआईमाइंडट्री, डिविज लैब की जगह ले सकती हैं।