युद्धक जहाज (वारशिप) और सबमरीन बनाने वाली दिग्गज सरकारी कंपनी मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स को नवरत्न का दर्जा मिल गया है। कंपनी को यह दर्जा मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स से मिला है। कंपनी ने आज 25 जून को एक्सचेंज फाइलिंग में यह जानकारी दी। यह देश का 18वां PSU है जिसे नवरत्न का दर्जा मिला है। बता दें कि हाल ही में इंडियन रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी लिमिटेड यानी IREDA को भी नवरत्न का स्टेटस मिला है। मझगांव डॉक के शेयरों में आज 0.31 फीसदी की मामूली तेजी देखी गई और यह स्टॉक BSE पर 3976.55 रुपये के भाव पर बंद हुआ है।
नवरत्न का दर्जा मिलने के बाद मझगांव डॉक, इंजीनियर्स इंडिया, कॉनकॉर, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स, RCF, NALCO, NMDC, RVNL, IRCON और IREDA जैसी कंपनियों की लिस्ट में शामिल हो गया है।
Mazagon Dock को नवरत्न का दर्जा मिलने के क्या हैं मायने
नवरत्न कंपनी के रूप में मझगांव डॉक केंद्र सरकार से मंजूरी लिए बिना ₹1000 करोड़ तक का निवेश कर सकती है। इन कंपनियों को एक साल के भीतर अपनी कुल संपत्ति का 30% तक निवेश करने की भी स्वतंत्रता है, बशर्ते यह ₹1,000 करोड़ के भीतर रहे। नवरत्न कंपनी को ज्वाइंट वेंचर, अलायंस बनाने और विदेश में सब्सिडियरी कंपनियां स्थापित करने की भी अनुमति है।
नवरत्न स्टेटस के लिए कंपनी में इन योग्यताओं का होना जरूरी
नवरत्न कंपनी बनने के लिए पीएसयू को पहले मिनीरत्न कंपनी होना चाहिए। इसके अलावा, इसे लगातार तीन वर्षों तक ₹5,000 करोड़ का नेट प्रॉफिट भी दर्ज करना होगा और तीन वर्षों तक ₹25000 करोड़ से अधिक का औसत वार्षिक कारोबार बनाए रखना होगा, या तीन वर्षों तक ₹15,000 करोड़ से अधिक की औसत वार्षिक शुद्ध संपत्ति होनी चाहिए। वित्तीय वर्ष 2024 के लिए मझगांव डॉक ने ₹9,466 करोड़ का वार्षिक कारोबार दर्ज किया। वित्तीय वर्ष 2024 के लिए मझगांव डॉक ने ₹9,466 करोड़ का वार्षिक कारोबार दर्ज किया। इस साल अप्रैल में IREDA को डिपार्टमेंट ऑफ पब्लिक एंटरप्राइजेज द्वारा नवरत्न का दर्जा दिया गया था। कंपनी ने अब 2030 तक महारत्न कंपनी बनने का लक्ष्य रखा है।
इस साल 74% चढ़े Mazagon Dock के शेयर
2024 में अब तक मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स के शेयरों में 74 फीसदी की वृद्धि हुई है। पिछले 12 महीनों में शेयर का मूल्य तीन गुना बढ़कर 216% हो गया है। इस उछाल के बाद ICICI सिक्योरिटीज के एक विश्लेषक ने शेयर पर “sell” की रेटिंग बनाए रखी और ₹900 का टारगेट प्राइस रखा, जिसका मतलब है कि मौजूदा स्तरों से 70 फीसदी से अधिक की संभावित गिरावट। मार्च तिमाही तक सरकार अभी भी कंपनी में सबसे बड़ी शेयरधारक है, जिसकी हिस्सेदारी 84.8% है।