पब्लिक सेक्टर का बैंक ऑफ महाराष्ट्र (Bank of Maharashtra) जल्द ही क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट (QIP) के जरिए 5000 करोड़ रुपये तक जुटा सकता है। वहीं सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (Central Bank of India) इसी रूट से 2000 करोड़ रुपये तक जुटा सकता है। यह जानकारी CNBC TV18 को सोर्सेज से मिली है। यह पैसा सरकारी हिस्सेदारी में कटौती करने और पब्लिक फ्लोट रिक्वायरमेंट्स को पूरा करने के लिए जुटाया जा सकता है। दोनों बैंकों के बोर्ड जल्द ही फंड को जुटाने के लिए मंजूरी दे सकते हैं।
भारत सरकार के पास बैंक ऑफ महाराष्ट्र में 86 प्रतिशत और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में 93 प्रतिशत इक्विटी हिस्सेदारी है। कैलिब्रेटेड फंड जुटाने से इन पीएसयू बैंकों को सरकारी हिस्सेदारी कम करने में मदद मिलेगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि बैंक ऑफ महाराष्ट्र वित्त वर्ष 2025 और वित्त वर्ष 2026 में न्यूनतम 25 प्रतिशत पब्लिक फ्लोट मानदंड को पूरा कर सकता है।
पूंजी जुटाने की कोई तत्काल जरूरत नहीं
बैंक ऑफ महाराष्ट्र की एमडी और सीईओ निधु सक्सेना ने CNBC TV18 को एक इंटरव्यू में कहा, “ग्रोथ के लिए पूंजी जुटाने की कोई तत्काल जरूरत नहीं है। हमने पूंजी जुटाने के लिए बोर्ड की मंजूरी ले ली है, लेकिन अभी तक सौदे के आकार और टाइमिंग पर फैसला नहीं किया है। हम मुनाफे को ध्यान में रखेंगे और प्रॉफिटेबल ग्रोथ को आगे बढ़ाएंगे।”
सक्सेना ने विभिन्न पैरामीटर्स पर हाई डबल डिजिट ग्रोथ हासिल करने का विश्वास व्यक्त किया। उन्होंने यह भी कहा कि ऋण लागत में सुधार की गुंजाइश है, जिसके 50-75 बेसिस पॉइंट्स तक गिरने की उम्मीद है। बैंक का लक्ष्य वित्त वर्ष 2025 में CASA (चालू खाता बचत खाता) रेशियो को 50 प्रतिशत से अधिक बनाए रखना है।