मिनिस्ट्री ऑफ माइन्स के तहत आने वाली कंपनी हिंदुस्तान कॉपर ने अपने दो कॉपर माइन को डेवलप करने की योजना तैयार की है। इन दोनों माइन के लिए अदाणी एंटरप्राइजेज और हिंडालको इंडस्ट्रीज दिलचस्पी दिखा रही हैं। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स को यह जानकारी सूत्रों के हवाले से मिली है। सूत्र के मुताबिक 24 जून को प्री-बिड कांफ्रेंस हुआ था, इसमें अदाणी ग्रुप की फ्लैगशिप कंपनी अदाणी एंटरप्राइजेज और हिंडालको भी उपस्थित थीं। सिर्फ अदाणी एंटरप्राइजेज और हिंडालको ही नहीं, इस प्री-बिड कांफ्रेंस में पांच और कंपनियां मौजूद रहीं। इन दोनों माइन्स की कुल क्षमता मिलाकर करीब 30 लाख टन है और ये झारखंड में स्थित हैं।
एक माइन 20 साल से पड़ी है बंद
हिंदुस्तान कॉपर की जिन दो माइन्स के लिए अदाणी एंटरप्राइजेज और हिंडालको उत्सुक दिख रही हैं, उसमें से एक माइन करीब 20 वर्षों से बंद पड़ी हैं। जो माइन बंद पड़ी है, उसका नाम राखा (Rakha) है। सूत्र के मुताबिक इसे चलाना कंपनी के लिए महंगा होता जा रहा था तो अब इसे किसी डेवलपर को देने पर विचार हो रहा है। दूसरी माइन का नाम रापड़ी (Rapri) है।
कॉपर की बढ़ रही मांग
हिंदुस्तान कॉपर की दो माइन्स के लिए देश की दो दिग्गज कंपनियां अदाणी एंटरप्राइजेज और हिंडालको उत्सुक दिख रही हैं। इनके अलावा एनसीसी, एसएमएस, महेश्वरी माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड, आरके अर्थ और साउथ वेस्ट माइनिंग ने भी दिलचस्पी दिखाई है। इसकी वजह ये है कि कॉपर की मांग इस समय काफी मजबूत है और आने वाले समय में यह और बढ़ने वाला है। देश में कॉपर की मांग में इजाफा हो रहा है क्योंकि इंफ्रा प्रोजेक्ट्स पर पर काफी जोर है। इसके अलावा इलेक्ट्रिक गाड़ियों (EVs) की मांग बढ़ रही है जिसमें कॉपर का इस्तेमाल होता है। इलेक्ट्रिक सामानों में भी इसका इस्तेमाल होता है। इस प्रकार देख सकते हैं कि कॉपर की खपत कितनी है।