सरकार अगले महीने पेश होने वाले बजट में बाजार से कर्ज लेने के अपने टारगेट में बदलाव नहीं करेगी। एक्सपर्ट्स का कहना है कि आरबीआई से ज्यादा डिविडेंड मिलने के बावजूद सरकार कर्ज के लिए पहले से तय लक्ष्य में बदलाव नहीं करेगी। इसकी वजह यह है कि फिस्कल डेफिसिट के टारगेट को हासिल करने और खर्च के लिए सरकार को अतिरिक्त पैसे की जरूरत है। इस साल 1 फरवरी को पेश अंतरिम बजट में सरकार ने फिस्कल डेफिसिट के लिए 5.1 फीसदी (जीडीपी का) का लक्ष्य तय किया था।
HDFC Bank की इकोनॉमिस्ट साक्षी गुप्ता ने कहा, “हम सरकार के उधार लेने के टारगेट में बदलाव की उम्मीद नहीं कर रहे हैं। आरबीआई से मिले ज्यादा डिविडेंड का इस्तेमाल सरकार अपने खर्च को बढ़ाने के लिए कर सकती है। सरकार का फोकस फिस्कल डेफिसिट को जीडीपी के 5.1 फीसदी पर बनाए रखने पर भी होगा।” जन स्मॉल फाइनेंस बैंक में ट्रेजरी हेड गोपल त्रिपाठी ने भी कहा कि जुलाई में पेश होने वाले बजट में सरकार के उधार से पैसे लेने के अपने टारगेट में किसी तरह का बदलाव नहीं करने की उम्मीद है।
सरकार फिस्कल डेफिसिट के बड़े हिस्से को भरने के लिए मार्केट से कर्ज लेती है। इसके लिए वह बॉन्ड्स इश्यू करती है। 1 फरवरी को पेश अंतरिम बजट में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि फाइनेंशियल ईयर 2024-25 में सरकार मार्केट से 14.13 लाख करोड़ रुपये का कर्ज लेगी। उन्होंने यह भी कहा था कि यह आंकड़ा वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान कर्ज से 15.43 लाख करोड़ रुपये जुटाने के लक्ष्य से 1.3 लाख करोड़ रुपये कम है।
हालांकि, FY25 के लिए सरकार का नेट कर्ज 11.80 लाख करोड़ रुपये के संशोधित अनुमान के मुकाबले थोड़ा ही कम यानी 11.75 लाख करोड़ रुपये है। कुछ एक्सपर्ट्स का यह भी मानना है कि सरकार के कर्ज में थोड़ी कमी देखने को मिल सकती है। आरेटे कैपिटल सर्विस के वाइस प्रेसिडेंट माताप्रसाद पांडेय ने कहा, “अगले महीने आने वाले बजट में सरकार के कर्ज के टारगेट में थोड़ी कमी देखने को मिल सकती है। इसकी वजह यह है कि सरकार फिस्कल कंसॉलिडेशन के रास्ते पर चलना चाहती है।”
उन्होंने कहा कि बाजार से सरकार के कर्ज जुटाने के टारगेट में 50,000 से 70,000 करोड़ रुपये की कमी बजट में देखने को मिल सकती है। उधर, इंडिया रेटिंग्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सरकार का ग्रॉस और नेट बॉरोइंग घटकर क्रमश: 13.58 लाख करोड़ और 11.20 लाख करोड़ रह सकता है।