Adani Group: गौतम अडानी समूह की कंपनी अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन लिमिटेड (एपीएसईजेड) को बड़ी सफलता मिली है। दरअसल, कंपनी को 45,000 करोड़ रुपये की लागत से मुंद्रा बंदरगाह की क्षमता को दोगुना करने के लिए केंद्र सरकार से पर्यावरण और तटीय विनियमन क्षेत्र की मंजूरी मिल गई है। इसका मकसद मुंद्रा बंदरगाह का विस्तार करना है। इन मंजूरियों से कंपनी को अपनी क्षमता लगभग दोगुनी कर 514 मिलियन टन करने की अनुमति मिलेगी। बता दें कि यह बंदरगाह पहले से ही कार्गो हाई वॉल्यूम को हैंडल कर रहा है। मतलब ये हुआ कि बंदरगाह से हाई वॉल्यूम पर सामानों की आवाजाही होती है।
क्या है डिटेल?
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक इस विस्तार से अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन को बूस्ट मिलेगा। दरअसल, गुजरात सरकार के साथ मुंद्रा बंदरगाह के लिए रियायत अवधि के विस्तार पर बातचीत हो रही है। विस्तार की यह अवधि 30 साल की है, जो 2031 में समाप्त होने वाली है। बता दें कि अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक ने 3,335 हेक्टेयर की विस्तार योजना के हिस्से के रूप में मुंद्रा की क्षमता को 289 मिलियन टन से बढ़ाकर 514 मिलियन टन करने के लिए पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति (ईएसी) में आवेदन किया था। ब ईएसी ने विस्तार की सिफारिश की है और मंत्रालय से अंतिम मंजूरी महज एक औपचारिकता है।
बंदरगाह रचेगा इतिहास!
गुजरात के कच्छ जिले में स्थित, मुंद्रा बंदरगाह के पास वर्तमान में सालाना 225 मिलियन टन कार्गो को संभालने की क्षमता और पर्यावरणीय मंजूरी है। बता दें कि भारत के सबसे बड़े कॉमर्शियल बंदरगाह और वॉल्यूम के हिसाब से टॉप कंटेनर बंदरगाह के रूप में मुंद्रा ने वित्त वर्ष 24 में 7.4 मिलियन टीईयू सहित 179.6 मिलियन टन कार्गो का मैनेजमेंट किया। यह भारत में सभी कार्गो वॉल्यूम के एक चौथाई से अधिक और कंटेनर कार्गो के एक तिहाई से अधिक के लिए जिम्मेदार है।
अडानी पोर्ट ने अनुमान लगाया है कि मुंद्रा वित्तीय वर्ष 2025 के लिए कार्गो हैंडलिंग में 200 मिलियन टन से अधिक हो जाएगा, जिससे यह मील के पत्थर तक पहुंचने वाला भारत का पहला बंदरगाह बन जाएगा। हालांकि, गंगावरम बंदरगाह के बंद होने के कारण, APSEZ को अप्रैल और मई 2024 में लगभग 6 मिलियन मीट्रिक टन (MMT) कार्गो वॉल्यूम का नुकसान हुआ।