आम चुनाव के नतीजों से पहले ही म्युचुअल फंडों ने सार्वजनिक उपक्रमों (पीएसयू) के शेयरों में मुनाफावसूली कर ली थी। मई में म्युचुअल फंड कई पीएसयू में शुद्ध बिकवाल रहे जबकि उसी माह उन्होंने इक्विटी में रिकॉर्ड 47,600 करोड़ रुपये का रिकॉर्ड निवेश किया था।
नुवामा ऑल्टरनेट ऐंड क्वांटिटेटिव रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार मई में सबसे ज्यादा बिकवाली वाले शेयरों की सूची की अगुआई केनरा बैंक की रही। इसमें से फंडों ने अनुमानित तौर पर 2,270 करोड़ रुपये निकाले। सबसे ज्यादा बेचे गए 30 शेयरों की सूची में नौ पीएसयू शामिल हैं जबकि अप्रैल में इनकी संख्या महज 4 थी। इन 9 शेयरों से 9,570 करोड़ रुपये की निवेश निकासी हुई जिनमें भारत इलेक्ट्रॉनिक्स, पीएनबी और गेल आदि शामिल हैं।
मई में एकमात्र पीएसयू आईआरएफसी में ही सबसे ज्यादा खरीदारी हुई और इसमें फंडों का अनुमानित निवेश 860 करोड़ रुपये रहा। हाल के वर्षों में ज्यादातर पीएसयू में खासी बढ़ोतरी दर्ज हुई है और इनमें से कुछ तो पिछले एक साल में दोगुने से भी ज्यादा हो गए हैं। बीएसई पीएसयू इंडेक्स 31 मई, 2024 को समाप्त एक साल की अवधि में 102 फीसदी चढ़ा है।
एक्जिट पोल के अनुमानों के बाद यह इंडेक्स 3 जून को 7.7 और चढ़ गया था लेकिन अगले दिन नतीजे के बाद हुई बिकवाली के दौरान यह करीब 16 फीसदी टूट गया था। हालांकि इंडेक्स ने अपने ज्यादातर नुकसान की भरपाई कर ली है।
फंड हाउस के स्तर पर एचडीएफसी और क्वांट म्युचुअल फंड सबसे ज्यादा बिकवाली करने में वालों में शामिल रहे। क्वांट पिछले महीने चार शेयरों से पूरी तरह बाहर निकल गया और ये सभी पीएसयू थे – पीएनबी, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स, गेल और हिंदुस्तान कॉपर। एचडीएफसी की बात करें तो उसने हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स, एसबीआई, एनएचपीसी, बैंक ऑफ बड़ौदा और पावर फाइनैंस कॉरपोरेशन के शेयर सबसे ज्यादा बेचे।
रिपोर्ट से पता चलता है कि निजी बैंकों के शेयरों (जिनमें ज्यादातर का प्रदर्शन हाल के वर्षों में कमजोर रहा है) में पिछले महीने सबसे ज्यादा खरीदारी देखने को मिली। खरीद सूची में सबसे ऊपर एचडीएफसी बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक रहे।
म्युचुअल फंडों ने इनमें शुद्ध रूप से क्रमश: 7,600 करोड़ रुपये व 3,210 करोड़ रुपये का निवेश किया। रिलायंस इंडस्ट्रीज, इन्फोसिस और एलऐंडटी भी पांच अग्रणी शेयरों में शामिल रहे। निफ्टी-50 और सेंसेक्स के दिग्गजों में भारी निवेश पैसिव फंडों में मिले निवेश में बढ़ोतरी की वजह से हुआ। इंडेक्स फंडों और ईटीएफ में मई में शुद्ध रूप से 15,180 करोड़ रुपये का निवेश मिला जो अप्रैल में 12,270 करोड़ रुपये था।
ज्यादातर फंड मैनेजर और बाजार के विशेषज्ञ अनुमान लगा रहे हैं कि बाजार के चक्र में बदलाव होगा और उन्हें उम्मीद है कि वैल्यू शेयरों के मुकाबले गुणवत्ता वाले शेयरों को बढ़त मिलेगी। मजबूत वित्तीय स्थिति, उच्च वृद्धि की संभावना और टिकाऊ कारोबारी मॉडल वाली कंपनियों के शेयरों को गुणवत्ता वाला शेयर माना जाता है। वैल्यू स्टॉक उन्हें माना जाता है जो अपनी आंतरिक या बुक वैल्यू से कम पर ट्रेड करता हो। पीएसयू शेयरों को आम तौर पर वैल्यू स्टॉक बताया जाता है।
एसबीआई म्युचुअल फंड ने हाल में कहा है कि पिछले तीन साल में गुणवत्ता वाले शेयरों का प्रदर्शन कमजोर रहा है। राजनीतिक अस्थिरता की वापसी और सटोरिया गतिविधियों में संभावित कमी के साथ हमारा मानना है कि अब फंडामेंटल पर ध्यान दिया जाएगा। प्रबंधन की गुणवत्ता, बैलेंस शीट की मजबूती और स्थिर व सतत वृद्धि एक बार फिर अहम बन सकती है।