अचानक पैसे की जरूरत पड़ने पर आप क्या करेंगे? ज्यादातर लोग पर्सनल लोन लेते हैं। आजकल क्रेडिट कार्ड पर पर्सनल लोन लेना बहुत आसान है। बैंक भी अपने ग्राहकों को पर्सनल लोन के ऑफर भेजते रहते हैं। इसमें ज्यादा पेपरवर्क नहीं होता है। ऐप या वेबसाइट पर बैंक लोन का अप्लिकेशन एप्रूव कर देता है। फिर, कुछ ही देर में पैसा आपके सेविंग अकाउंट में आ जाता है। लेकिन, पर्सनल लोन का इंटरेस्ट रेट ज्यादा होता है। इससे कई लोग पर्सनल लोन लेने से बचते हैं। ऐसे में म्यू्चुअल फंड्स में अपने निवेश पर लोन लेना अच्छा विकल्प हो सकता है।
म्यूचुअल फंड पर लोन लेना उसी तरह से है जैसे हम बैंक के पास अपने एसेट्स कौलेटरल के रूप में रखकर लोन लेते हैं। इसमें आपको अपने इक्विटी या डेट म्यूचुअल फंड्स के यूनिट्स बतौर कोलैटरल बैंक के पास रखना पड़ता है। बैंक तुरंत आपका लोन अप्लिकेशन एप्रूव कर देता है। खास बात यह है कि इस लोन का इंटरेस्ट रेट क्रेडिट कार्ड लोन या बैंक के पर्सनल लोन के मुकाबसे काफी कम होता है।
आप म्यूचुअल फंड्स में अपने निवेश पर कितना लोन ले सकते हैं, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपने किस स्कीम में निवेश किया है। डेट फंड्स में आपने निवेश किया है या उस पर लोन लेना चाहते हैं तो उसकी यूनिट्स की वैल्यू का 70-80 फीसदी तक आपको लोन मिल सकता है। अगर आप इक्विटी फंड में अपने निवेश पर लोन लेना चाहता हैं तो आपको निवेश की वैल्यू के करीब 50 फीसदी तक लोन मिल सकता है।
म्यूचुअल फंड में निवेश पर लोन लेने का एक दूसरा फायदा यह है कि आपको अपनी यूनिट्स बेचनी नहीं पड़ती है। आपको अपने निवेश पर मार्केट रेट से रिटर्न मिलता रहता है। इसके अलावा आपको किसी तरह का कैपिटल गेंस टैक्स नहीं नहीं चुकाना पड़ता है जो आपको म्यूचुअल फंड की यूनिट्स बेचने पर चुकाना पड़ सकता था। इससे आपके फाइनेंशियल गोल पर भी किसी तरह का असर नहीं पड़ता है।
म्यूचुअल फंड्स में निवेश पर लोन लेने से पहले आपको एक खास बात जान लेनी जरूरी है। अगर आपने इक्विटी फंड की यूनिट्स पर लोन लिया है तो मार्केट में गिरावट आने पर आपके निवेश की वैल्यू घट सकती है। मान लीजिए इक्विटी फंड में आपके निवेश की वैल्यू 4 लाख रुपये है। आपने इसका 50 फीसदी यानी 2 लाख रुपये का लोन लिया है। अगर मार्केट 20 फीसदी गिर जाता है तो आपके निवेश की वैल्यू घटकर 3.2 लाख रुपये रह जाती है। ऐसा होने पर आपको बैंक की तरफ से मार्जिन कॉल मिल सकती है।
मार्जिन कॉल का मतलब यह है कि बैंक आपको करीब 80,000 रुपये जमा करने को कहेगा ताकि इस पैसे के साथ गिरवी रखे यूनिट्स की वैल्यू करीब 4 लाख रुपये की हो जाए। दूसरा, बैंक आपको 40,000 रुपये का पेमेंट करने को कह सकता है ताकि लोन का अमाउंट घटकर 1.6 लाख रुपये पर आ जाए। यह 3.2 लाख रुपये का 50 फीसदी है।