क्या आप भी अपने बच्चों को सेरेलैक (Cerelac) खिला रहे हैं? अगर जवाब हां है तो सावधान हो जाइए। दिग्गज फूड कंपनी एक बार फिर से चर्चा में है। कंपनी का चर्चित प्रोडक्ट सेरेलैक सवालों के घेरे में है। ग्लोबल सिविल सोसाइटी ऑर्गेनाइजेशन, पब्लिक आई और IDFAN ने स्विस स्टेट सेक्रेटेरिएट फॉर इकोनॉमिक अफेयर (SECO) से नेस्ले के विरुद्ध कानूनी कदम उठाने की मांग की है। इन संस्थाओं का कहना है कि कंपनी कम या मध्यम आय वर्ग वाले देशों में अनैतिक और अनुचित व्यापार कर रही है।
नियमों से अधिक चीनी का इस्तेमाल
अप्रैल में इन संस्थाओं ने कंपनी के दो सबसे लोकप्रिय प्रोडक्ट में मात्रा से अधिक चीनी (शुगर) इस्तेमाल की बात कही थी। इनका कहना है कि ये WHO की तय गाइडलाइन के खिलाफ है। बता दें, ये प्रोडक्ट्स भारत सहित दुनिया भर के विकासशील देशों में बेचे जा रहे हैं।
कंपनी इस पूरे प्रकरण पर क्या बोली है?
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार नेस्ले के प्रवक्ता ने कहा कि हम जानते हैं कि भारत में बच्चों के लिए बेचे जा रहे हैं सभी कंपनियों के प्रोडक्टस के फॉर्मूले की जांच चल रही है। कंपनी ने कहा है वो भारत में अपने प्रोडक्ट्स में पिछले 5 सालों के दौरान चीनी की मात्रा को 30 प्रतिशत तक कम कर दिया है।
इससे पहले अप्रैल में जब यह मामला चर्चा में आया था तब नेस्ले इंडिया के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर सुरेश नारायण ने कहा था कि सेरेलैक नियमों के अंतर्गत ही अपने सामान को बेच रहा है। तब उन्होंने बताया था कि भारत के तय नियमों से काफी कम मात्रा में चीनी का इस्तेमाल उनके प्रोडक्ट्स में होता है।
‘हजारों जिंदगियों पर असर’
इनका कहना है कि नेस्ले की आक्रमक ब्रांडिंग और नियमों के विरुद्ध अधिक मात्रा में चीनी के इस्तेमाल की वजह से गरीब देशों में हजारों जिंदगियां प्रभावित हुई हैं। इन NGO’s का कहना है कि इस तरह का प्रोडक्ट ना सिर्फ बच्चों के लिए बल्कि नेस्ले के अपने देश की प्रतिष्ठा के लिए भी रोकना चाहिए।
अरबों डॉलर का है कारोबार
नेस्ल का कारोबार कितना बड़ा है इससे अंदाजा लगा सकते हैं कि बच्चों के फूड मार्केट में 20 प्रतिशत हिस्सेदारी अकेले इनकी है। 2022 में कंपनी की कुल सेल्स 2.5 अरब डॉलर की रही थी। बता दें, सेरेलैक और निडो, नेस्ले के लोकप्रिय प्रोडक्ट्स में से एक हैं।