ग्लोबल फंड मैनेजर्स इंडिया में निवेश में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे। इसकी वजह है इंडियन मार्केट्स की हाई वैल्यूएशन। मॉर्गन स्टेनली इंडिया के एमडी रिद्धम देसाई ने यह कहा है। उन्होंने सीएनबीसी-टीवी18 से बातचीत में कहा कि ग्लोबल इमर्जिंग मार्केट्स (जीईएमएस) में अभी इंडिया थोड़ा अंडरवेट है। हालांकि, उभरते बाजारों में इंडिया का प्रदर्शन दूसरों के मुकाबले बेहतर रहा है। इंडियन मार्केट्स की वैल्यूएशन ज्यादा होने से ग्लोबल फंड मैनेजर्स निवेश के लिए इंडिया में करेक्शन का इंतजार कर रहे हैं। लेकिन, ऐसा नहीं हो रहा है।
इस साल की दूसरी छमाही में होगी विदेशी फंडों की वापसी
रिद्धम देसाई (Ridham Desai) ने कहा, “हालांकि, इमर्जिंग मार्केट्स इंडेक्स (Emerging Markets Index) में इंडिया का वेट कोविड से पहले के करीब 8 फीसदी से बढ़कर 17 फीसदी हो गया है। लेकिन, फंड मैनेजर्स ने बढ़ते वेटेज के मुताबिक अपना निवेश नहीं बढ़ाया है।” उन्होंने कहा कि इंडिया पर ओवरवेट होने के लिए जीईएमएस (GEMS) की तरफ से करीब 50 अरपब डॉलर के निवेश की जरूरत पड़ेगी। उन्होंने कहा कि इस साल की दूसरी छमाही में विदेशी संस्थागत निवेशक (FIIs) इंडियन मार्केट्स में पूरी ताकत के साथ लौटेंगे।
म्यूचुअल फंड्स रोजाना कर रहे 15 अरब डॉलर की खरीदारी
मॉर्गन स्टेनली इंडिया के एमडी ने कहा कि इस बीच इंडियन मार्केट में अच्छा घरेलू निवेश जारी है। म्यूचुअल फंड्स हाउसेज रोजानाा करीब 10 से 15 करोड़ डॉलर की खरीदारी कर रहे हैं। उन्होने प्राइवेट बैंकों के निवेश के लिहाज से अट्रैक्टिव बताया। उन्होंने कहा कि कंज्यूमर डिस्क्रेशनरी, ऑटो, रिटेल, कुछ इंडस्ट्रियल्स और आईटी स्टॉक्स भी अट्रैक्टिव दिख रहे हैं। उन्होंने कहा कि कंज्यूमर स्टैपल्स और हेल्थकेयर सेक्टर स्टॉक्स में सीमित वैल्यू दिख रही है। इसलिए निवेशकों को इन सेक्टर को लेकर सावधान रहने की जरूरत है।
ऑयल की कीमतें बढ़ने से इंडिया को शॉर्ट टर्म में हो सकती है दिक्कत
देसाई का मानना है कि ग्लोबल ग्रोथ में सुस्ती और चीन में डीफ्लेशन की वजह से मार्केट्स के लिए रिस्क हो सकता है। उन्होंने कहा कि ऑयल की कीमतों को लेकर इंडिया अब पहले जितना संवेदनशील नहीं है, लेकिन अचानक कीमतों में आए उछाल से छोटी अवधि में इंडिया के लिए दिक्कत बढ़ सकती है।