चंद्रबाबू नायडू के आंधप्रदेश के CM बनने और अमरावती पर उनके नए सिरे से फोकस करने से तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद के रियल एस्टेट मार्केट में हलचल मच गई है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि पड़ोसी राज्य आंध्र प्रदेश में तेलुगु देशम पार्टी को भारी जीत मिली है। साथ ही वह केंद्र के NDA सरकार में भी एक अहम सहयोगी बनकर उभरी है। इससे आने वाले दिनों में काफी बिजनेस और निवेश आंध्र प्रदेश में जाने की उम्मीद है। इसके चलते हैदराबाद के रियल एस्टेट बाजार में धीरे-धीरे मंदी आ सकती है।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि बदले राजनीतिक हालात के चलते हैदराबाद से कुछ निवेश छिटक सकता हैं, जिससे यहां के रियल एस्टेट की कीमतों में 10-15 प्रतिशत तक गिरावट आ सकता है। कमर्शियल रियल एस्टेट मार्केट पर इसका अधिक असर पड़ने की उम्मीद है।
रियल एस्टेट कंसल्टेंट फर्म एनारॉक की ओर से की गई एक स्टडी में कहा गया है कि आंध्र प्रदेश का संभावित विकास हैदराबाद के रियल एस्टेट के लिए दोधारी तलवार साबित हो सकता है। स्टडी में कहा गया है, “हालांकि, कुल मिलाकर इसका पॉजिटिव असर पड़ने की संभावना है क्योंकि आंध्र प्रदेश से दोनों तेलगुभाषी राज्यों के लिए एक लहर पैदा हो सकती है, जिससे पूरे क्षेत्र में बिजनेस और इनवेस्टमेंट आकर्षित होगा।”
यह स्टडी रिपोर्ट चंद्रबाबू नायडू के 11 जून को दिए एक बयान के बाद आया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि अमरावती ही आंध्र प्रदेश की इकलौती राजधानी होगी।
2014 में जब आंध्र प्रदेश का बंटवारा हुआ था, तब नायडू ने अमरावती ने के लिए कई बड़ी योजनाएं बनाई थीं। 2014 से 2019 के बीच विभाजित आंध्र प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री के तौर पर अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने अमरावती को राजधानी बनाने का विचार पेश किया था। हालांकि, 2019 में टीडीपी के सत्ता से बाहर होने और वाईएस जगन मोहन रेड्डी की अगुआई वाली वाईएसआर सरकार ने इस विचार को ठंडे बस्ते में डाल दिया था।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के विभाजन के बाद से हैदराबाद को फायदा हुआ था और इसने धीरे-धीरे भारत के टॉप रियल एस्टेट हब में से एक के रूप में अपनी स्थिति मजबूत कर ली है।
एनारॉक ग्रुप के रिजनल डायरेक्टर और रिसर्च हेड, प्रशांत ठाकुर ने कहा कि शहर के आईटी सेंटर, इंफ्रास्ट्रक्चर विकास और ओवरऑल बिजनेस इकोसिस्टम के चलते क्वालिटी आवास और कमर्शियल स्पेसेज की मांग बनी रहने की संभावना है।