Paytm के फाउंडर और CEO विजय शेखर शर्मा अपने पुराने और भरोसेमंद सहयोगियों से कॉन्टैक्ट कर रहे हैं। वह कंपनी में फिर से जान फूंकना चाहते हैं, जिसने नियामकीय उथल-पुथल का सामना किया है और जो आंतरिक कलह से गुजर रही है। सूत्रों के अनुसार, शर्मा ने अपने सबसे करीबी सहयोगियों रेणु सत्ती, किरण वासीरेड्डी और नेहुल मल्होत्रा को फोन करके पेटीएम में वापस आने के लिए कहा है।
दो वरिष्ठ अधिकारियों ने मनीकंट्रोल को बताया, ‘वासीरेड्डी और मल्होत्रा के साथ कुछ समय पहले बातचीत शुरू हुई थी। वे पेटीएम में यूजर ग्रोथ पहल का नेतृत्व कर सकते हैं। विजय शेखर शर्मा अपने करीबी सहयोगियों के संपर्क में हैं और पूरी टीम को रीबिल्ड करना चाहते हैं क्योंकि उन्होंने हर कारोबार का डायरेक्ट चार्ज संभाला हुआ है।’ हालांकि मल्होत्रा ने ऐसे किसी कदम से इनकार किया है। वह वर्तमान में अपने स्टार्टअप जेनवाइज पर काम कर रहे हैं।
Paytm का क्या है कहना
इस बीच पेटीएम ने जवाब देते हुए कहा कि ये अटकलें हैं, जो उच्च प्रदर्शन करने वाले टैलेंट को नेतृत्व की भूमिकाओं में बढ़ावा देने पर कंपनी के फोकस को उजागर करती है। पेटीएम के प्रवक्ता ने मनीकंट्रोल को बताया, “हमने पूर्व अधिकारियों से संपर्क नहीं किया है और न ही हम उनके साथ चर्चा कर रहे हैं। हम अपने अगले लीडरशिप रोल्स को आंतरिक रूप से मजबूत करने और मजबूत उत्तराधिकार योजना सुनिश्चित करने पर फोकस कर रहे हैं।”
पेटीएम पेमेंट्स बैंक पर RBI के एक्शन के बाद कंपनी दबाव में
पेटीएम की सहयोगी कंपनी, पेटीएम पेमेंट्स बैंक लिमिटेड (PPBL) पर RBI की ओर से लगाए गए कठोर प्रतिबंधों के बाद से पेटीएम दबाव में है। मई में कुल UPI लेनदेन में पेटीएम की हिस्सेदारी लगातार चौथे महीने गिर गई और 8.1% रही। कंपनी के शेयर की कीमत में गिरावट आई है और पिछले तीन महीनों में कई ब्रोकरेज लगातार स्टॉक को डाउनग्रेड कर रहे हैं। विजय शेखर शर्मा कंपनी में ग्रोथ को पुनर्जीवित करने, ग्राहकों के छोड़कर जाने में कमी लाने और पार्टनर्स, मर्चेंट और ग्राहकों के बीच विश्वास को बढ़ाने के लिए विभिन्न कार्यक्षेत्रों का नियंत्रण संभाल रहे हैं।
पुराने गौरव को बहाल करने के अपने प्रयास में, शर्मा उन वरिष्ठ अधिकारियों को वापस लाने की भी कोशिश कर रहे हैं, जिन्होंने कंपनी के शुरुआती विकास और इसके मॉनेटाइजेशन की यात्रा का नेतृत्व किया था। एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, “शर्मा का अपने पुराने सहयोगियों के साथ फिर से जुड़ने का रणनीतिक कदम एक महत्वपूर्ण मोड़ पर आया है, खासकर पेटीएम के अंदर आंतरिक कलह की सुगबुगाहट के साथ।” कंपनी के प्रेसिडेंट और सीओओ, भावेश गुप्ता का पेटीएम का साथ छोड़ना पेटीएम में टर्निंग पॉइंट्स में से एक है। वह विजय शेखर शर्मा के सबसे करीबी विश्वासपात्रों में से एक थे। ऐसी खबर थी कि दोनों के बीच बिजनेस प्रैक्टिसेज को लेकर विचारों का मतभेद था, खासकर लेंडिंग पार्टनरशिप साइड पर।
एक एग्जीक्यूटिव के मुताबिक, “टीम विजय और टीम भावेश के बीच एक स्पष्ट विभाजन है, जो विजय के भावेश से किसी भी तरह के जुड़ाव से जानबूझकर अलग होने को दर्शाता है। वह फिर से कार्यभार संभालना चाहते हैं और अपने पूर्व विश्वसनीय सहयोगियों को वापस लाना सबसे अपेक्षित कदम है। शर्मा को अब अपने विश्वसनीय रिसोर्सेज की पहले से कहीं अधिक जरूरत है।
क्यों पुराने साथियों पर है भरोसा
अपने करियर का बड़ा हिस्सा पेटीएम में बिताने के बाद, सत्ती और वासीरेड्डी कंपनी की शुरुआत से ही इससे अच्छी तरह परिचित हैं। रेणु सत्ती 2006 में पेटीएम में शामिल हुईं और पेटीएम में अपने 15 साल के लंबे करियर में एचआर मैनेजर से लेकर बिजनेस की वाइस प्रेसिडेंट और बाद में पेटीएम पेमेंट्स बैंक की सीईओ तक की पोजिशन पर तेजी से आगे बढ़ीं।
किरण वासीरेड्डी 2009 में पेटीएम में शामिल हुए। साल 2017 तक सेल्स के एवीपी से लेकर पेमेंट बिजनेस के सीओओ तक की पोजिशन पर पहुंचे। इन दोनों लोगों ने नए वेंचर्स के लिए पेटीएम का साथ छोड़ा। सत्ती ने अर्थमेट के लिए और वासीरेड्डी ने कलारी कैपिटल के लिए। इन दोनों का पेटीएम में लौटना विजय शेखर शर्मा का एक रणनीतिक कदम हो सकता है।
इस बीच, पेटीएम अपने सबसे महत्वपूर्ण और हाई ग्रोथ वर्टिकल-लेंडिंग का नेतृत्व करने के लिए बैंकिंग उद्योग के एक अनुभवी व्यक्ति की तलाश कर रही है। सूत्रों ने संकेत दिया है कि शर्मा ने संभावित साझेदारी पर चर्चा करने के लिए इंडसइंड बैंक के साई गिरिधर से मुलाकात की है। गिरिधर वर्तमान में इंडसइंड बैंक में रिटेल एसेट्स और क्रेडिट कार्ड के प्रमुख हैं।