Stock Market Tips: लोकसभा चुनाव के चलते घरेलू स्टॉक मार्केट में उतार-चढ़ाव अभी भी बना हुआ है। नई सरकार का गठन होने के बाद भी मार्केट में वोलैटिलिटी है और इस वोलैटिलिटी के बावजूद जापान के ब्रोकरेज फर्म नोमुरा ने अपने पोर्टफोलियो में कोई बदलाव नहीं किया है। केंद्र में एक बार फिर से बीजेपी की अगुवाई में एनडीए की सरकार बनने के चलते ही नोमुरा ने इसमें कोई बदलाव नहीं किया है। इसका मानना है कि इस साल के आखिरी तक निफ्टी 24,860 का लेवल ब्रेक कर देगा।
चुनावी नतीजे के बाद राजनीतिक और नीतिगत तौर पर आगे क्या होगा, इसे लेकर अनिश्चितता बनी तो ट्रेडर्स आईटी, फार्मा और एफएमसीजी जैसे डिफेंसिव शेयरों की तरफ भागने लगे क्योंकि पीएसयू और डिफेंस स्टॉक्स सरकारी नीतियों के आधार पर ही ऊपर-नीचे होते हैं। हालांकि अब नोमुरा का मानना है कि चुनावी नतीजे के बाद जरूर अनिश्चितता थी लेकिन अब कैबिनेट बनने के बाद यह तय हो गया है कि नीतियों में कोई खास बदलाव नहीं होगा।
इन शेयरों पर ब्रोकरेज का है भरोसा
नोमुरा का रुझान स्टॉक-स्पेशिफिक बना हुआ है और सेक्टर्स की बात करें तो इसका फोकस खपत की बजाय मैनुफैक्चरिंग और इनवेस्टमेंट थीम पर है। निवेशक इस समय एफएमसीजी की तरफ भाग रहे हैं लेकिन नोमुर का जोर कंजम्प्शन की बजाय आईटी सर्विसेज और हेल्थकेयर कंपनियों पर है। नोमुरा के पोर्टफोलियो में फाइनेंशियल्स, इंफ्रा, ऑयल एंड गैस, टेलीकॉम और पावर का वजन अधिक है और नोमुरा के मुताबिक इन शेयरों में गिरावट आती है तो इसे खरीदारी के मौके के तौर पर देखना चाहिए। ब्रोकरेज कैपिटल गुड्स और डिफेंस को लेकर भी पॉजिटिव है लेकिन इसका कहना है कि इस पर सरकार कैसे खर्च करेगी, इस पर निगाह रहेगी।
अब Budget पर है निगाहें
मार्केट की निगाहें अब बजट पर हैं। इस साल चुनावी वर्ष होने के चलते फरवरी में पूरे वित्त वर्ष का बजट नहीं पेश किया गया था, बल्कि उस समय अंतरिम बजट पेश हुआ था जिसे चुनाव तक के लिए पेश किया गया था। अब बाकी महीने के लिए बजट जुलाई में शुरू हो रहे मानसून सत्र में पेश किया जाएगा। ब्रोकरेज का मानना है कि इसमें किसी खास बदलाव के आसार नहीं दिख रहे हैं। सरकार का फोकस निवेश/कैपिटल एक्सपेंडिचर पर बना रहेगा। इस मामले में नोमुरा का रुझान कई और एक्सपर्ट्स से इस मामले में अलग है कि उनका मानना है कि चूंकि इस बार केंद्र की एनडीए सरकार में बीजेपी बहुमत में नहीं है तो तो ग्रोथ वाली पॉलिसी की बजाय वेलफेयर आधारित पॉलिसी परल अधिक जोर रहेगा। हालांकि कैबिनेट में 61 फीसदी मंत्री पुरानी कैबिनेट के ही हैं तो नोमुरा का मानना है कि नीतिगत स्तर पर कोई खास बदलाव नहीं होगा।
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