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रिटेल इनवेस्टर्स ने सीखा स्मार्ट इनवेस्टमेंट का मंत्र, चुनावी नतीजों के बाद बाजार के आंकड़ों से हुई पुष्टि

देश के रिटेल इनवेस्टर पिछले कुछ साल में काफी परिपक्व हो गए हैं। आज की तारीख में वे पहले के मुकाबले कहीं ज्यादा स्मार्ट हैं। इसके सबूत के तौर पर आपको सिर्फ पिछले हफ्ते के बेहद उतार-चढ़ाव वाले कारोबारी सत्रों को देखने की जरूरत है। एग्जिट पोल के अनुमानों के बाद 3 जून का शेयर बाजार काफी बुलिश था। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के आंकड़ों के मुताबिक, रिटेल इनवेस्टर्स ने इस दिन 8,588 करोड़ रुपये के शेयरों की बिक्री की। विदेशी निवेशकों ने भी इस दिन जमकर बिक्री की। इस साल विदेशी निवेशक शेयर बाजार में नेट सेलर रहे हैं।

अगले दिन यानी 4 जून जब वास्तविक नतीजे आए, तो बाजार में कोहराम मच गया और रिटेल इनवेस्टर्स ने सस्ती वैल्यूएशन पर शेयरों की खरीद की। शेयर बाजार में 4 जून को रिटेल इनवेस्टर्स ने 21,000 करोड़ के शेयर खरीदे। फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स (FIIs) और म्यूचुअल फंड्स 4 जून को नेट सेलर रहे और उन्होंने 19,000 करोड़ रुपये के शेयरों की बिक्री की।

रिटेल इनवेस्टर्स ने शेयर बाजार में 5 जून को भी 3,000 करोड़ के शेयरों की खरीदारी की, जबकि फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स (FII) द्वारा 6,500 करोड़ रुपये की बिक्री की गई थी। मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि शेयर बाजार का यह ट्रेंड भारतीय निवेशकों की परिपक्वता को दर्शाता है, जो अब शॉर्ट-टर्म ट्रेडिंग के जरिये तुरंत पैसा बनाने को लेकर सक्रिय नहीं हैं, बल्कि लॉन्ग टर्म नजरिये से उन शेयरों पर दांव लगा रहे हैं, जिनके फंडामेंटल्स मजबूत हैं।

वेल्थमिल्स सिक्योरिटीज में डायरेक्टर, इक्विटी स्ट्रैटेजी क्रांति बथिनी का कहना है कि शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव और राजनीतिक अनिश्चितता के बीच रिटेल इनवेस्टर्स बाजार में गिरावट पर शेयर खरीद रहे हैं, जबकि तेजी में शेयरों की बिक्री कर रहे हैं। इसके अलावा, पिछले 4 साल में डीमैट खातों की संख्या में भी काफी बढ़ोतरी देखने को मिली है। मार्च 2020 में डीमैट खातों की संख्या 4.08 करोड़ थी, जो अब बढ़कर 15.80 करोड़ हो गई है।

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