पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन (PFC) को उसके कानूनी सलाहकारों से शापूरजी पलोंजी ग्रुप (Shapoorji Pallonji Group) को 15,000 करोड़ रुपये का लोन देने की मंजूरी मिल गई है। इस मामले से वाकिफ लोगों ने मनीकंट्रोल को यह जानकारी दी। शापूरजी पलोंजी ग्रुप इस लोन के बदले में टाटा संस (Tata Sons) में अपनी 18.37 फीसदी हिस्सेदारी को गिरवी रखेगी। बता दें कि शापूरजी पलोंजी ग्रुप अपने 20,000 करोड़ रुपये के लोन को रिफाइनेंस कराने के लिए विभिन्न स्रोंतों से 1.2 अरब डॉलर जुटाने के लिए लेंडर्स बातचीत कर रहा है। ग्रुप का यह लोन मई महीने के अंतिम सप्ताह में मैच्योर होने वाला था।
PFC को मिली यह मंजूरी इसलिए भी अहम है क्योंकि टाटा ट्रस्ट्स ने हाल ही में लेंडर्स को यह बताया था कि उसका आर्टिकल्स ऑफ एसोसिएशन, शापूरजी पलोंजी के कर्ज न चुका पाने की स्थिति में उसके शेयरों को किसी थर्ड पार्टी के हाथों बेचे जाने की इजाजत नहीं देता है।
इस बात को ध्यान में रखते हुए PFC ने अपने कानूनी सलाहकारों से राय मांग थी कि क्या उसे लोन ट्रांजैक्शन पर आगे बढ़ना चाहिए या नहीं। कानूनी सलाहकारों से हरी झंडी दिखाए जाने के बाद PFC की इस लोन से जुड़ी संभावित चिंताएं कुछ कम हो सकती है।
शापूरजी पलोंजी ग्रुप के लिए PFC से लोन पाना काफी अहम होगा। ग्रुप फिलहाल अपने मौजूदा लोन पर ऊंची ब्याज दरों के कारण चुनौतियों का सामना कर रहा है। इससे पहले, ग्रुप ने कठिनाइयों का हवाला देते हुए अपने लोन के एक हिस्से को चुकाने के लिए मैच्योरिटी तारीख को 26 मई से बढ़ाकर 30 सितंबर करने के लिए बॉन्डधारकों से मंजूरी मांगी थी।
बदले में, शापूरजी पलोंजी ग्रुप ने लेंडर्स को 400 करोड़ रुपये अतिरिक्त दिए, जिससे उसका कुल भुगतान 1,800 करोड़ रुपये हो गया। ग्रुप ने यह लोन अपनी सहायक कंपनी गोस्वामी इंफ्राटेक के जरिए लिया था।
दूसरी ओर, टाटा संस का कहना है कि उसके शेयर स्वतंत्र रूप से ट्रासंफर नहीं किए जा सकते हैं। अगर शापूरजी casas पलोंजी ग्रुप लोन का भुगतान करने में चूक करता है, तो लेंडर्स बकाया वसूलने के लिए गिरवी रखे गए टाटा संस के शेयर नहीं बेच पाएंगे, क्योंकि टाटा संस एक प्राइवेट कंपनी है।