Brokerages view on Election Results: लोकसभा चुनाव के नतीजों से ब्रोकरेज की मिली-जुली राय सामने आई है।चुनावों पर FII ब्रोकरेजेज का कहना है कि BJP के नेतृत्व में NDA की सरकार बनने की उम्मीद है। चुनवा नतीजों के मुताबिक PM मोदी के नेतृत्व में गठबंधन की सरकार बनेगी। लेकिन अबकी बार नई सरकार में दूसरी पार्टियों पर निर्भरता बढ़ेगी। इसकी वजह से सरकार की स्थिरता और पॉलिसी मेकिंग पर सवाल बना हुआ रहेगा। मध्यम अवधि के लिए बाजार के आउटलुक में बदलाव नहीं किया गया है। इसके अलावा कैपेक्स साइकिल रुकने का रिस्क कम है। जानते हैं चुनाव नतीजों के बाद दिग्गज ब्रोकरेजेज ने अपनी रिपोर्ट में क्या कहा-
लोकसभा नतीजों पर Bernstein
वहीं Bernstein को सब्सिडी खर्च बढ़ने की आशंका है। उन्होंने कहा कि कहा बाजार से अब बड़े रिटर्न की उम्मीद ना करें। ब्रोकरेज का कहना है कि नई सरकार में दूसरी पार्टियों पर निर्भरता बढ़ेगी। रूरल डिस्ट्रेस से निपटने के लिए सब्सिडी पर फोकस रहेगा। कैपेक्स पर सब्सिडी खर्च भारी रहने का असर संभव है। निफ्टी के 23500 के टार्गेट में बदलाव नहीं किया है।
बर्नस्टीन ने कहा कि बाजार अब 8-9% के करीब रिटर्न देगा। लार्ज कैप के मुकाबले स्मॉल और मिडकैप पर अंडरवेट नजरिया अपनाया है। छोटी अवधि में ज्यादा बिकवाली हो चुकी है। अब कैपेक्स वाले शेयर बाजार की रिकवरी को लीड करेंगे।
चुनाव नतीजों पर मॉर्गन स्टैनली
मॉर्गेन स्टैनली ने कहा कि नई सरकार में रिफॉर्म की रफ्तार धीमी नहीं पड़ेगी। हमने मध्यम अवधि के आउटलुक में बदलाव नहीं किया है। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में उतार-चढ़ाव कम होगा। रिफॉर्म की रफ्तार सुस्त नहीं पड़ेगी। नई सरकार के ग्रोथ पर फोकस बनाए रखने की उम्मीद है। NDA दलों में खींचतान को बाजार ने अभी नहीं पचाया है।
चुनाव नतीजों पर CLSA
सीएलएसए का कहना है कि BJP का अकेले बहुमत नहीं होने से कई सवाल पैदा होंगे। सरकार की स्थिरता और पॉलिसी मेकिंग पर सवाल उठेगा। इक्विटी बाजार के प्रीमियम पर संदेह उठ खड़े हुए हैं। उन्होंने अब इंडिया पोर्टफोलियो में L&T को हटाकर HCL TECH शामिल किया है। निजी बैंक, IT, इंश्योरेंस और कमोडिटी इनके पसंदीदा सेक्टर्स हैं। उन्होंने कहा कि हम ITC पर फोकस कर रहे हैं।
चुनाव नतीजों पर UBS
ब्रोकरेज फर्म यूबीएस ने कहा कि ग्लोबल निवेशकों के फीडबैक के हिसाब से ही नतीजे रहे हैं। BJP के नेतृत्व में गठबंधन सरकार की उम्मीद थी। पॉलिसी की निरंतरता बनी रहेगी। हालांकि नई सरकार में पॉप्युलिस्ट फैसलों का रिस्क भी बना रहेगा। इसके अलावा मुश्किल रिफॉर्म पर कदम बढ़ाना मुश्किल होगा। भारतीय बाजार आगे अंडरपरफॉर्म कर सकते हैं। एमर्जिंग बाजारों में भारत पर अंडरवेट नजरिया दिया है।
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