Lok Sabha Election

केंद्र में सरकार बनाने की ‘हैट्रिक’ लगाने जा रहे मोदी के नाम हैं कई बड़े सियासी-संसदीय कीर्तिमान!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीसरी बार केंद्र में अपनी अगुआई में सरकार बनाने जा रहे हैं। एनडीए की बैठक में उन्हें आज सर्वसम्मति से नेता चुन लिया गया। 7 जून को संसदीय दल की बैठक होगी, जिसमें उन्हें संसदीय दल का नेता भी चुन लिया जाएगा। इसके बाद मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे। ये अपने आप में एक रिकॉर्ड होगा, उस मोदी के नाम, जो पहले ही ढेर सारे सियासी- चुनावी रिकॉर्ड बना चुके हैं।

नरेंद्र मोदी के तीसरी बार पीएम बनने की राह में रुकावट आने का जो ख्वाब विपक्षी ‘इंडी’ गठबंधन के नेता देख रहे थे, वो मंसूबे हवा में ही रह गये। खुद बिहार के मुख्यमंत्री और एनडीए के घटक दल, जेडीयू के नेता नीतीश कुमार ने मोदी से जल्दी सरकार बनाने की अपील कर दी। इसके साथ ही बीजेपी के सभी सहयोगी दलों के नेताओं ने मोदी को एनडीए का नेता चुने जाने के पत्र पर हस्ताक्षर करते हुए उनके तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने का रास्ता औपचारिक तौर पऱ भी साफ कर दिया।

लगातार तीसरी बार पीएम बनने वाले पहले गैर कांग्रेसी नेता होंगे नरेंद्र मोदी

इसके साथ ही एक नया इतिहास बनने का रास्ता भी खुल गया। मोदी ऐसे पहले गैर-कांग्रेसी नेता होंगे, जो लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे। वैसे भी स्वतंत्र भारत के संसदीय इतिहास में वो प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु के अलावा एक मात्र ऐसे व्यक्ति बन गये हैं, जिन्होंने लगातार तीन बार अपनी अगुआई में लोकसभा का चुनाव जीतते हुए सरकार बनाई है।

आजादी के बाद लगातार तीन बार प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ लेने वाले भी वो तीसरे ही व्यक्ति होंगे। इससे पहले ये रिकॉर्ड सिर्फ नेहरू और इंदिरा गांधी के खाते में रहा है। इंदिरा गांधी ने लालबहादुर शास्त्री के देहांत के बाद पहली बार 1966 में प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी, उसके बाद 1967 के लोकसभा चुनावों के बाद और फिर मार्च 1971 में हुए लोकसभा चुनावों के बाद।

जानिए क्यों खास हैं नरेंद्र मोदी

जहां तक संसदीय और प्रशासनिक रिकॉर्ड की बात है, मोदी कई मामलों में विशिष्ट हैं। वो बिना विधानसभा का कोई चुनाव पहले लड़े हुए सीधे मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे। सात अक्टूबर 2001 को गुजरात के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने वाले मोदी पौने तेरह साल तक लगातार गुजरात के मुख्यमंत्री रहे, और वहां से सीधे प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठे। 1960 में गुजरात की स्थापना के बाद से वो एक मात्र मुख्यमंत्री रहे, जिसने लगातार चार बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।

गुजरात में सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले मोदी ने अपनी अगुआई में लगातार तीन विधानसभा चुनाव बीजेपी को जीताने का रिकॉर्ड भी बनाया। ऐसा इससे पहले कभी नहीं हुआ। गुजरात में इस तरह का अनूठा रिकॉर्ड बनाने के बाद देश के प्रधानमंत्री बनने वाले मोदी ने लोकसभा के भी लगातार तीन चुनाव अपनी अगुआई में एनडीए गठबंधन और अपनी पार्टी बीजेपी को जीताए हैं। ऐसा करने वाले भी वो एक मात्र गैर- कांग्रेसी नेता हैं।

कांग्रेस में ये कीर्तिमान सिर्फ नेहरू के पास रहा है, वो भी उस कांग्रेस के नेता के तौर पर, जिस कांग्रेस को आजादी बाद के पहले तीन चुनावों में उस तरह से विपक्ष की चुनौती का सामना नहीं करना पड़ा था, जैसा आज के दौर में है।

नेहरू और मनमोहन सिंह के अलावा मोदी एक मात्र प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने लगातार पांच साल के दो टर्म पूरे किये हैं। 1967 में प्रधानमंत्री बनने वाली इंदिरा गांधी ने प्रीवी पर्स मामले में पहले सुप्रीम कोर्ट में मुंह की खाने और फिर संसद में शिकस्त का सामना करने के बाद, पांच साल का टर्म पूरा होने के पहले ही मध्यावधि चुनाव का रास्ता अख्तियार किया था, 1971 की शुरुआत में।

कांग्रेस में नेहरू के अलावा सिर्फ मनमोहन सिंह के नाम ही पांच साल के दो टर्म प्रधानमंत्री के तौर पर पूरा करने का कीर्तिमान रहा है और गैर-कांग्रेसी नेताओं में सिर्फ मोदी के नाम ये रिकॉर्ड है। मनमोहन सिंह और मोदी में फर्क ये है कि मोदी जहां खुद लोकसभा चुनाव जीतकर और अपनी पार्टी को जीताकर पीएम बने, तो मनमोहन सिंह सोनिया गांधी की कृपा से।

प्रधानमंत्री के तौर पर दो टर्म पूरा करने वाले मनमोहन सिंह कभी लोकसभा में सदन के नेता नहीं रहे, क्योंकि उन्होंने लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ा। वो सीधे जनता के बीच से चुनकर लोकसभा में आने का हौसला नहीं जुटा सके, संसद में वो राज्यसभा के रास्ते आए। अगर लोकसभा में सदन के नेता होने के साथ ही लगातार दो पूरे टर्म करने की बात हो, तो नेहरू के बाद सिर्फ मोदी का नंबर आता है।

लेकिन मोदी नेहरू से भी एक मामले में विशिष्ट हैं। प्रधानमंत्री बनने से पहले नेहरू सिर्फ इलाहाबाद की नगरपालिका के अध्यक्ष रहे थे, एक मात्र उनका प्रशासनिक अनुभव वही रहा था। लेकिन उनके उलट मोदी पौने तेरह साल तक लगातार गुजरात का मुख्यमंत्री रहने के बाद 26 मई 2014 को देश के प्रधानमंत्री बने थे। गुजरात के सीएम के तौर पर रिकॉर्ड कार्यकाल के दौरान मोदी की प्रशासनिक क्षमता का लोहा देश और दुनिया ने माना, उनकी साख बनी, जिसकी वजह से ही वो बड़े मैंडेट के साथ 2014 में देश के प्रधानमंत्री बने।

पिछले पौने तेईस साल से लगातार सीएम और पीएम जैसे शीर्ष पद पर रहें नरेंद्र मोदी

देश के राजनीतिक इतिहास में वो एक मात्र व्यक्ति हैं, जो पौने तेरह साल तक सीएम रहने के बाद बिना किसी ब्रेक के सीधे प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठे और दस साल तक लगातार प्रधानमंत्री रहने के बाद तीसरे टर्म की शुरुआत करने जा रहे हैं। कुल मिलाकर पिछले पौने तेईस साल से लगातार सीएम और पीएम जैसे राज्य और देश के शीर्ष प्रशासनिक पदों पर बैठे हुए हैं मोदी।

जहां तक चुनावी राजनीति और जीत का सवाल है, मोदी उसमें भी एक ऐसा रिकॉर्ड बना चुके हैं, जैसा पहले न तो कोई कर पाया और न ही भविष्य में ऐसा जल्दी होने की संभावना है। बतौर सीएम गुजरात में लगातार तीन विधानसभा चुनाव जीताने वाले मोदी लोकसभा चुनाव के मामले में भी हैट्रिक लगा चुके हैं, एनडीए को तीन दफा सफलता दिलाई है लगातार।

नरेंद्र मोदी का एक और अनूठा रिकॉर्ड

जहां तक बीजेपी का सवाल है, उस मामले में भी मोदी ने अनूठा रिकॉर्ड बनाया है। मोदी की अगुआई में ही बीजेपी ने अपने 44 साल पुराने इतिहास में अपनी तीन बड़ी जीत हासिल की है लोकसभा के चुनावों में। 1980 में बीजेपी की स्थापना हुई थी, पार्टी ने पहला लोकसभा चुनाव लड़ा 1984 में, जिसमें उसे महज दो सीटें हासिल हुई थीं। यही वो चुनाव था, जिसमें कांग्रेस को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या की वजह से सहानुभूति लहर मिली थी और कांग्रेस पार्टी देश के संसदीय इतिहास में पहली और आखिरी बार चार सौ से अधिक सीटें जीतने में कामयाब रही थी।

कांग्रेस को 404 सीटें 1984 के इन लोकसभा चुनावों में हासिल हुई थी। बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी ने सहानुभूति लहर की वजह से कांग्रेस को हासिल हुई इस ऐतिहासिक जीत के कारण ही इन चुनावों को ‘शोकसभा का चुनाव’ कहा था।

1984 में महज दो सीटें जीतने वाली बीजेपी को अपने इतिहास में एक ही बार तीन सौ से ज्यादा सीटें जीतने का मौका मिला। पार्टी को ये मौका मोदी की अगुआई में ही हासिल हुआ, 2019 के लोकसभा चुनावों में। बीजेपी को 303 सीटें हासिल हुईं। इससे पहले लोकसभा के लिहाज से बीजेपी का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 2014 में रहा था, जब मोदी की अगुआई में ही बीजेपी ने लोकसभा की 543 में से 282 सीटों पर कब्जा किया था, और पहली बार अपने बूते पर केंद्र में सरकार बनाई थी।

इससे पहले तीन बार अटलबिहारी वाजपेयी की अगुआई में बीजेपी की जो सरकार 1996, 1998 और 1999 में बनी थी, उसमें पार्टी को एनडीए के बाकी घटक दलों के भरोसे रहना पड़ा था। 1996 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी को 161 सीटें हासिल हुई थीं, तो 1998 और 1999 में 182 सीटें, दोनों ही बार। जहां तक 2024 के इन लोकसभा चुनावों की जीत का सवाल है, बीजेपी को 240 सीटें हासिल हुई हैं और एनडीए को 292 सीटें, जो सदन में बहुमत के लिए जरूरी आंकड़े 272 से काफी अधिक है। 2024 की ये जीत बीजेपी के इतिहास के लिहाज से तीसरी बड़ी जीत है और ये कीर्तिमान भी मोदी के सर ही है।

मोदी के प्रधानमंत्री रहते हुए ही बीजेपी का विस्तार पूरे देश में हुआ। पिछले दस सालों में पार्टी ने जितने अधिक राज्यों में सरकारें बनाईं और जितनी सीटें जीतीं, वैसा पहले कभी नहीं हुआ। यहां तक कि पहली बार केरल में पार्टी का खाता भी खुला है मोदी की अगुआई में ही, जब त्रिशूर की सीट बीजेपी के हाथ आई है।

शुरू हो रहा है नरेंद्र मोदी का तीसरा कार्यकाल

नरेंद्र मोदी का तीसरा टर्म शुरू होने जा रहा है। दुनिया की पांचवी बड़ी अर्थव्यवस्था भारत को अपने पहले दो टर्म के दौरान बना चुके मोदी की निगाह इसे दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने पर है। एनडीए के बाकी घटक दलों के समर्थन से सरकार चलाने जा रहे मोदी ने अपनी प्राथमिकता पहले ही तय कर दी है, न तो भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में कोई सुस्ती आएगी और न ही बड़े आर्थिक सुधारों में।

विकसित भारत के मोदी के संकल्प और विजन की तारीफ एनडीए की आज की बैठक के दौरान सहयोगी दल कर चुके हैं, साथ में गरीबी उन्मूलन की दिशा में किये गये उनके प्रयासों का बखान भी।

साठ साल बाद ऐसा होने जा रहा है, जब लगातार तीसरी बार कोई नेता चुनाव जीतकर सरकार बनाने जा रहा है। नेहरू के बाद ये मौका हासिल करने वाले एकमात्र व्यक्ति रहे हैं मोदी। इस अनूठे रिकॉर्ड के साथ सरकार बनाने जा रहे मोदी की दृष्टि कुछ और बड़े कीर्तिमानों पर भी होगी, सियासी, कूटनीतिक, प्रशासनिक, चुनावी, सभी मोर्चों पर नया इतिहास रचने की, नये रिकॉर्ड बनाने की।

वैसे इस मोदी काल में कांग्रेस ने भी एक नया रिकॉर्ड अनचाहे ही बना चुकी है, मोदी के कारण ही केंद्र की सत्ता से सबसे अधिक समय तक दूर रहने का। मोदीराज से पहले वो अधिकतम आठ साल तक सत्ता से बाहर रही थी, वर्ष 1996 से 2004 के बीच। लेकिन मोदी राज में उसका इंतजार दस साल लंबा हो चुका है और कितना लंबा होगा, ये उसके नेताओं को पता नहीं।

मोदी का जलवा जब तक है, कांग्रेस ही नहीं, बाकी विपक्षी दलों को भी सत्ता में वापसी के लिए इंतजार का नया रिकॉर्ड ही बनाना है। वैसे भी पैंतीस साल हो गये हैं नेहरू- गांधी परिवार से किसी को प्रधानमंत्री बने हुए, मोदी इस अवधि को और लंबा ही करने वाले हैं अपने नये रिकॉर्ड के साथ। बस निगाह रखिए उनके नये रिकॉर्ड पर।

Source link

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Most Popular

To Top