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Stock Market Crash: बाजार में गिरावट पर एक्सपर्ट्स बोले- युवा निवेशक उतार-चढ़ाव के लिए रहें तैयार, लॉन्ग टर्म गोल्स पर करें फोकस

लोकसभा चुनाव के नतीजों के बीच आज 4 जून को शेयर बाजार में भारी गिरावट देखी गई। सेंसेक्स और निफ्टी आज करीब 6 फीसदी की गिरावट के साथ बंद हुए हैं। मौजूदा आंकड़ों के मुताबिक NDA की तीसरी बार सरकार बनने की उम्मीद है लेकिन BJP को एग्जिट पोल के अनुमान के मुकाबले काफी कम सीटें मिली है। शेयर बाजार में आज आई बड़ी गिरावट उन नए रिटेल इनवेस्टर्स के लिए एक झटका है, जिन्होंने मार्च 2020 में कोविड-19 महामारी के बाद से पिछले चार सालों में शेयर बाजार में केवल तेजी देखी है।

एक्सपर्ट्स का कहना है कि चुनाव नतीजों के बीच मार्केट में बड़ी गिरावट के बावजूद रिटेल निवेशकों को अपने लॉन्ग टर्म गोल्स पर फोकस करना चाहिए। भले ही BJP को एग्जिट पोल की उम्मीदों के मुताबिक सीट ना मिली हो, लेकिन इसके बावजूद तीसरी बार NDA की सरकार बनती दिख रही है।

Stock Market Crash: बाजार की चाल के बजाय अपनी लॉन्ग टर्म फाइनेंशियल गोल्स पर करें फोकस

प्लान रुपी इन्वेस्टमेंट सर्विसेज के फाउंडर अमोल जोशी कहते हैं, “नई सरकार का गठन पांच साल में एक बार होने वाली घटना है। इसलिए, इससे आपकी निवेश रणनीति तय नहीं होनी चाहिए। आपका निवेश एप्रोच आपके फाइनेंशियल गोल्स, रिस्क प्रोफाइल और एसेट एलोकेशन पर आधारित होना चाहिए।”

मनीवर्क्स फाइनेंशियल सर्विसेज की फाउंडर निसरीन मामाजी ने कहा कि यह सलाह खास तौर पर युवा, पहली बार निवेश करने वाले निवेशकों के लिए है, जो पिछले चार सालों में ही बाजार में आए हैं और उन्हें इस तरह की बाजार गिरावट का सामना नहीं करना पड़ा है। उन्होंने कहा, “नए निवेशकों को अब विशेष रूप से सावधान रहना चाहिए ताकि वे वोलेटैलिटी के तूफान में बह न जाएं। बाजार सेंटीमेंट से प्रेरित होते हैं, लेकिन उन्हें नतीजों के आधार पर खरीदने या बाहर निकलने का फैसला नहीं करना चाहिए।”

फ्लेक्सी-कैप, मल्टी-कैप म्यूचुअल फंड में SIP के माध्यम से निवेश जारी रखें

प्लान अहेड इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स के फाउंडर विशाल धवन कहते हैं कि चुनावी नतीजों और उसके कारण होने वाली अस्थिरता के कारण अपनी वित्तीय योजना में बड़े बदलाव करने की जरूरत नहीं है। निवेशकों को अपने एसेट एलोकेशन पर फोकस करना चाहिए।

धवन ने आगे कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि आपको सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) और सिस्टमैटिक ट्रांसफर प्लान (STP) जारी रखना चाहिए। धवन कहते हैं, “अगर निवेशकों के पास स्पेस है, तो बैलेंस्ड एडवांटेज फंड और सोने में निवेश पर विचार किया जा सकता है। जियोग्राफिकली डायवर्सिफाइड होने की जरूरत निवेशकों के लिए एक बड़ी जरूरत बनी हुई है, ताकि वे किसी एक देश के जोखिमों से खुद को बचा सकें, जो इस तरह की घटनाओं के कारण उभर सकते हैं।”

म्यूचुअल फंड में करें निवेश 

अमोल जोशी का मानना ​​है कि रिटेल निवेशकों के लिए सबसे अच्छा यही है कि वे म्यूचुअल फंड में निवेश करें और फंड मैनेजर को अभी से पैसे लगाने के बारे में फैसला लेने दें। उन्होंने कहा, “हमें अब निवेशकों से इंफ्रास्ट्रक्चर, मैन्युफैक्चरिंग, रेलवे, पीएसयू आदि जैसे सेक्टर्स के बारे में पूछताछ मिल रही है। हमारा सुझाव है कि म्यूचुअल फंड निवेशक बेसिक्स पर ही ध्यान दें। यानी निवेश का फैसला फंड मैनेजर पर छोड़ दें। एक डायवर्सिफाइड फंड इन सभी थीम और क्षेत्रों में निवेश कर सकता है। डायवर्सिफाइड फंड में फ्लेक्सी-कैप या मल्टी-कैप फंड चुनें।”

दूसरी ओर, फाइनेंशियल प्लानिंग फर्म हम फौजी इनिशिएटिव्स के CEO कर्नल संजीव गोविला का मानना ​​है कि खुदरा निवेशकों को भी भारत की लॉन्ग टर्म ग्रोथ स्टोरी से लाभ उठाने के लिए ग्रोथ सेक्टर्स पर फोकस करना चाहिए। वे कहते हैं, “शॉर्ट टर्म बाधाओं के बावजूद इक्विटी का प्रदर्शन अच्छा रहने की संभावना है। इसलिए, इंफ्रास्ट्रक्चर, बैंकिंग और वित्तीय और मैन्युफैक्चरिंग जैसे ग्रोथ सेक्टर्स में लॉन्ग टर्म आउटलुक के साथ निवेश करें।”

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