चुनाव नतीजों का भारतीय शेयर बाजार पर क्या असर होगा? यह सवाल इन दिनों हर किसी के जेहन में है। इंवेस्टर्स असमंजस में हैं कि आखिर नतीजे आने के बाद बाजार में तेजी आएगी या गिरावट? लेकिन घबराने की कोई बात नहीं! 4 जून को मतगणना का दिन है और दलाल स्ट्रीट भी बाजार के उतार-चढ़ाव के लिए पूरी तरह तैयार है। आइए जानते हैं, दिग्गज एनालिस्ट और ब्रोकरेज फर्मों ने 4 जून के लिए कैसी भविष्यवाणियां की हैं।
इयान ब्रेमर: भारत की स्थिरता और विकास में विश्वास
अमेरिकी राजनीतिक वैज्ञानिक और लेखक इयान ब्रेमर का मानना है कि भारत का निरंतर विकास ग्लोबल इकॉनमी के लिए पॉजिटिव संकेतों में से एक है। उनका कहना है कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगला कार्यकाल नहीं जीत पाते हैं, तो यह चौंकाने वाली बात होगी। ब्रेमर की संस्था यूरेशिया ग्रुप भविष्यवाणी करती है कि भाजपा 305 सीटें (±10 सीटें) जीतेगी, जिससे यह स्पष्ट होता है कि उनके विचार में मोदी के नेतृत्व में भारत की इकॉनमी और डेमोक्रेटिक स्थिरता बनी रहेगी।
मार्क मोबियस: इन्फ्रास्ट्रक्चर निवेश में आशावाद
प्रसिद्ध इंवेस्टर मार्क मोबियस नरेंद्र मोदी के संभावित तीसरे कार्यकाल को लेकर आशावादी हैं। उनका मानना है कि मोदी की नीतियों का सिलसिला जारी रहेगा, जिसका खासतौर पर बुनियादी ढांचे से जुड़े शेयरों को फायदा होगा। उन्होंने सीएनबीसी इंटरनेशनल को बताया कि आने वाले समय में बुनियादी ढांचे को अच्छा बढ़ावा मिलने वाला है। साथ ही, उन्होंने इस बात पर भी विचार किया कि अगर मोदी को संविधान में संशोधन करने के लिए पर्याप्त सीटें मिल जाती हैं, तो इसका अप्रत्याशित लेकिन महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है।
क्रिस्टोफर वुड: बाजार की स्थिरता चुनाव परिणामों से जुड़ी हुई है
जेफरीज के क्रिस्टोफर वुड का कहना है कि अगर चुनाव में बीजेपी को अप्रत्याशित हार का सामना करना पड़ता है, तो बाजार में गिरावट आ सकती है। उन्होंने 2004 में हुए सेंसेक्स के गिरने का उदाहरण देते हुए यह चेतावनी दी है। वुड का मानना है कि पिछले दशक में मोदी सरकार के कामकाज का आम भारतीयों के जीवन पर पॉजिटिव असर पड़ा है, इसलिए उनकी हार की संभावना बहुत कम है। उनका कहना है कि अगर बीजेपी 2019 वाले प्रदर्शन को ही दोहरा लेती है, तो भी सरकार की नीतियों को आगे बढ़ाने के लिए पर्याप्त होगा।
रमेश दमानी: सस्टेंड पॉलिसी कंटीन्यूटी और बाजार विकास और मार्केट ग्रोथ
प्रसिद्ध इंवेस्टर रमेश दमानी का मानना है कि आर्थिक नीतियों में निरंतरता बाजार की वृद्धि को बनाए रखने में मदद करेगी। उन्होंने मोदी सरकार के कार्यकाल में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSU) में बदलाव का उदाहरण देते हुए भविष्यवाणी की है कि सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर, आवास और रिन्यूएबल एनर्जी जैसे सेक्टर पर और ध्यान देगी। दमानी को आस है कि सरकार डायरेक्ट टैक्स को आसान बनाने के लिए सरल नीतियां भी लागू करेगी।