मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL), सुनील मित्तल की भारती एयरटेल, इंडस टावर्स जैसी कंपनियों के शेयरों और ओएनजीसी, इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड (आईजीएल), एनएचपीसी जैसे कुछ सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के शेयरों ने पिछले छह महीनों में निफ्टी50 से बेहतर प्रदर्शन किया है। CLSA के विश्लेषकों ने इन कंपनियों को हालिया रिपोर्ट में ‘मोदी स्टॉक्स’ करार दिया है।
निफ्टी में पिछले 6 महीनों में 14% की बढ़त हुई है, लेकिन इसी दौरान ‘मोदी स्टॉक’ कंपनियों के शेयरों में औसतन 50% की तेजी आई है। CLSA की रिपोर्ट के मुताबिक, अगर 4 जून को आने वाले NDA के नतीजे मजबूत रहे तो ‘मोदी स्टॉक’ कंपनियों के शेयरों में सबसे ज्यादा उछाल आने की संभावना है। वहीं, नतीजे कमजोर रहने पर भी इनमें सबसे ज्यादा गिरावट आ सकती है।
CLSA के मुताबिक, पिछले 6 महीनों में भारतीय शेयर बाजार में हलचल बढ़ी है। इसकी एक वजह दिसंबर 2023 की शुरुआत में हुए राज्य चुनावों में एक सत्तारूढ़ पार्टी की जीत है। रिपोर्ट में बताया गया है कि इस पार्टी से जुड़ी उम्मीदों की वजह से शेयर बाजार में तेजी आई है। रिपोर्ट यह भी बताती है कि जिन 183 कंपनियों के शेयरों पर वायदा (futures) और ऑप्शन (options) की सुविधा है, उनमें खासा उत्साह (excitement) देखा गया है। इन कंपनियों के शेयर ज्यादा तरल (liquid) माने जाते हैं, यानी इन्हें आसानी से खरीदा और बेचा जा सकता है।
मोदी स्टॉक क्या है?
पिछले छह महीनों में Nifty50 में 14% की तेजी आई है, लेकिन वायदा-ऑप्शन वाली 183 कंपनियों में से 44% ने निफ्टी से कम अच्छा प्रदर्शन किया है। इसका मतलब है कि ये तेजी पूरे बाजार में नहीं देखी गई, बल्कि कुछ ही चुनिंदा कंपनियों तक सीमित रही।
CLSA के विकाश कुमार जैन, आदर्श अग्रवाल और हेमंत कोठारी ने हाल ही में एक रिपोर्ट में लिखा है कि “अगर सत्तारूढ़ पार्टी को मजबूत बहुमत के साथ तीसरा कार्यकाल मिलता है, तो लोकप्रिय उम्मीदों के नीतिगत फैसलों से जो कंपनियां सीधे फायदे में रहेंगी, उन्हें हम अलग निकाल कर रखते हैं। ऐसे शेयरों को ‘मोदी स्टॉक’ कहते हैं। ये मुख्य रूप से पूंजीगत व्यय (capex) और बुनियादी ढांचे से जुड़े क्षेत्रों, सरकारी कंपनियों (PSU) या कुछ बड़े उद्योगपतियों के शेयर होते हैं।”
उन्होंने आगे कहा, कुल 183 शेयरों में से 54 शेयरों को मोदी स्टॉक के रूप में पहचाना गया है, जो कि F&O कारोबार के लगभग 30% हिस्से के बराबर है। दिलचस्प बात यह है कि पिछले छह महीनों में इन 54 शेयरों में से केवल 5 ने ही खराब प्रदर्शन किया है, जिसका मतलब है कि पिछले छह महीनों में लगभग 90% मोदी शेयरों ने निफ्टी को outperform कर दिया है।
CLSA का कहना है कि पिछले 6 महीनों में F&O कारोबार में शामिल सभी 27 सरकारी कंपनियों (PSU) के शेयरों ने निफ्टी को मात दी है। बाकी 27 गैर-सरकारी “मोदी स्टॉक” में से भी सिर्फ 5 सीमेंट कंपनियों के शेयरों को छोड़कर, सभी ने इस अवधि में निफ्टी से बेहतर प्रदर्शन किया है। CLSA का कहना है कि इससे ये साफ पता चलता है कि पिछले 6 महीनों में शेयरों की कीमतों में ऊपर-नीचे का रुझान मुख्य रूप से चुनाव की उम्मीद से प्रभावित रहा है।
जैन, अग्रवाल और कोठारी ने लिखा, “यह बताता है कि बाकी बचे 129 शेयरों में से 58% से ज्यादा शेयरों ने इस अवधि में निफ्टी से कम अच्छा प्रदर्शन किया है। दूसरे शब्दों में, इन चुनिंदा शेयरों में से अच्छा प्रदर्शन करने वाले चुनना काफी मुश्किल था।”
सीएलएसए भारत के विश्लेषकों ने “मोदी” शेयरों के इस समूह में सरकारी उपक्रमों (PSU) के लिए जिन शेयरों को खरीदने की सलाह दी है, उनमें ONGC, NTPC, NHPC, SBI, पावर फाइनेंस, IGL और महानगर गैस शामिल हैं। गैर-सरकारी उपक्रम “मोदी” शेयरों में, सीएलएसए विश्लेषकों को अशोक Leyland, Ultratech सीमेंट, लार्सन एंड टूब्रो (L&T) और भारती एयरटेल, इंडस टावर्स और आरआईएल के माध्यम से टैरिफ वृद्धि से जुड़े टेलीकॉम स्टॉक पसंद हैं।