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6 महीने में आधा हो गया पेटीएम के शेयर का भाव, अब लगातार दूसरे दिन अपर सर्किट

 

पेटीएम की मूल कंपनी वन 97 कम्युनिकेशंस के शेयरों में गुरुवार को 5% की और उछाल दर्ज की गई। वह भी तब जब पेटीएम के सीईओ विजय शेखर शर्मा और अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी के बीच डील की बातचीत की खबरों को कंपनी ने सिरे से खारिज कर दिया। बता दें पिछले छह महीने में यह 56 फीसद टूट चुका है।

निवेशकों ने पेटीएम के शेयरों पर भरोसा दिखाया और यह बुधवार को 5% की उछाल के बाद आज भी उछल रहा है। यह लगातार दूसर सेशन है, जिसमें पेटीएम के शेयरों में 5 फीसद का अपर सर्किट लगा है। पिछले 5 दिनों में यह 10 फीसद से अधिक उछल चुका है। पिछले छह महीने में पेटीएम के शेयरों की कीमत आधी से कम हो गई है। इसका 52 हफ्ते का हाई 998.30 रुपये और लो 310 रुपये है।

पेटीएम ने बुधवार को एक नियामक फाइलिंग में कहा, “हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि खबरें अटकलें हैं और कंपनी इस संबंध में किसी भी चर्चा में शामिल नहीं है। हमने हमेशा सेबी (लिस्टिंग ऑब्लिगेशन्स एंड डिस्क्लोजर रिक्वायरमेंट्स) रेगुलेशन, 2015 के तहत अपने दायित्वों के अनुपालन में खुलासे किए हैं और करते रहेंगे।”

अडानी के हिस्सेदारी खरीदने की आईं थी खबरें

दरअसल मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि आरबीआई द्वारा पेटीएम पेमेंट्स बैंक लिमिटेड को 15 मार्च से किसी भी ग्राहक के खाते, वॉलेट और फास्टैग में जमा, क्रेडिट लेनदेन या टॉप-अप एक्सेप्ट करने से रोक दिए जाने के बाद पेटीएम मुश्किल में है। इस मुश्किल घड़ी में अडानी पश्चिम एशियाई फंडों को पेटीएम में निवेश करने के लिए भी राजी करने की कोशिश कर रहे हैं।

नौकरियों में कटौती की चेतावनी

बता दें पेटीएम को चौथी तिमाही में कारोबार में आई रुकावटों के कारण रेवेन्यू और प्रॉफिटिबिलिटी पर निकट अवधि के वित्तीय प्रभाव पड़ सकता है। पेटीएम ने अप्रत्यक्ष रूप से नौकरियों में कटौती की चेतावनी देते हुए कहा कि वह कॉस्ट स्ट्रक्चर को ऑप्टिमाइज कर रहा है। वह एआई क्षमताओं का लाभ उठा रहा है और महत्वपूर्ण लागत दक्षता हासिल करने के लिए कोर बिजनेस पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।

पेटीएम के लिए वेट-एंड-वॉच

बता दें पिछले छह महीनों में पेटीएम के शेयरों में करीब 57% की गिरावट आई है और निवेशकों को उम्मीद है कि कंपनी वित्त वर्ष 29 तक ही नेट प्रॉफिट पॉजीटिव हो पाएगा। विश्लेषकों का कहना है कि पेटीएम के लिए सबसे बड़ी चुनौती आरबीआई का प्रतिबंध है। मोतीलाल ओसवाल के सिद्धार्थ खेमका ने कहा, “इसलिए मुझे लगता है कि अगर मैनेजमेंट में बदलाव होता है और पेमेंट बैंक बिजनेस में वापस आने के लिए आरबीआई से मंजूरी प्राप्त करने में सक्षम होते हैं तो यह स्टॉक के लिए एक बड़ा ट्रिगर होगा। अभी हमारे पास न्यूट्रल रेटिंग है और हम पेटीएम के लिए वेट-एंड-वॉच मोड में हैं।”

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