रिलायंस इंडस्ट्रीज ने रूस की कंपनी रोसनेफ्ट के साथ एक साल के लिए करार किया है। इस करार के तहत हर महीने कम से कम 3 मिलियन बैरल रूसी कच्चा तेल (क्रूड ऑयल) का आयात करेगी। पेमेंट रूस की करेंसी रूबल में किया जाएगा।
तेल उत्पादक देशों के समूह ओपेक+ (OPEC+) 2 जून मीटिंग करने वाले हैं। इसमें ये तेल सप्लाई में कटौती जारी रखने कर निर्णय ले सकते हैं। ऐसे में रिलायंस इंडस्ट्रीज को इस डील की वजह से रियायती कीमत पर तेल मिलते रहने में मदद मिलेगी।
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक और उपभोक्ता देश है। 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद पश्चिमी देशों ने रूस से तेल खरीदने पर बैन लगा दिया था। इसके बाद से भारत रूसी कच्चे तेल का सबसे बड़ा खरीदार बन गया है। भारत ने रूसी कच्चे तेल के लिए रुपए, दिरहम और चीन की करेंसी युआन में भी भुगतान किया है।
3 साल में 2 से 40% हुआ रूस से इंपोर्ट
भारत ने 2020 में रूस से अपनी जरूरत का सिर्फ 2% कच्चा तेल खरीदा था। रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने से ठीक पहले 2021 में टोटल सप्लाई 16% हो गई और 2022 में सप्लाई बढ़कर 35% तक पहुंच गई। फिलहाल भारत रूस से अपनी जरूरत का 40% क्रूड ऑयल खरीद रहा है।
भारत की टोटल व्यापार वैल्यू में क्रूड ऑयल का हिस्सा एक तिहाई है। यानी भारत जो कुछ भी बाहर से इंपोर्ट करता है उसका करीब एक तिहाई हिस्सा क्रूड ऑयल होता है। इसलिए इस मुनाफे से व्यापार घाटे में कमी आएगी।
रूस पर पश्चिमी देशों ने लगाया था प्रतिबंध
यूक्रेन के साथ युद्ध के बाद पश्चिमी देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसका फायदा दुनिया में क्रूड ऑयल के तीसरे सबसे बड़े इंपोर्टर भारत ने उठाया और यूरोप की जगह रूस से तेल का इंपोर्ट बढ़ा दिया था।
भारत की सबसे बड़ी कंपनी है रिलायंस
रिलायंस इंडस्ट्रीज मार्केट कैप के लिहाज से देश की सबसे बड़ी कंपनी है। कंपनी का 19.69 लाख करोड़ रुपए है। वहीं रोसनेफ्ट भी रूस की तीसरी बड़ी कंपनी है। इसका मार्केट कैप करीब 7 लाख करोड़ रुपए (85 बिलियन डॉलर) है।