Markets

Election के बाद शेयर बाजार में गिरावट के आसार! विशेषज्ञों ने दी चेतावनी, बताया निवेश का सही तरीका

दुनिया भर के 70,000 से ज्यादा इंवेस्टर्स वॉरेन बफे के वार्षिक बर्कशायर हैथवे मीटिंग में शामिल होते हैं। इस बार एक भारतीय इंवेस्टर राजीव अग्रवाल ने भारत के भविष्य पर बफे की राय जानी। राजीव अमेरिका से भारतीय शेयरों में निवेश करने वाली फंड DoorDarshi India Fund के फंड मैनेजर और मैनेजिंग पार्टनर हैं। उन्होंने मनीकंट्रोल के साथ एक इंटरव्यू में बर्कशायर मीटिंग का अनुभव शेयर किया।

विशेष बढ़त का पता नहीं 

राजीव अग्रवाल ने बताया कि यह सीखने और जिज्ञासु बने रहने का शानदार अवसर है। बफे और मुंगेर का मानना है कि अच्छे लोगों से दोस्ती करनी है तो खुद को भी अच्छा होना चाहिए। उन्होंने कहा कि वॉरेन बफे भारत को लेकर काफी आशावादी थे, लेकिन उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उन्हें भारत में कोई विशेष बढ़त का पता नहीं है।

अमेरिकी इंवेस्टर्स का ट्रेंड

राजीव अग्रवाल ने कहा कि कुछ साल पहले, जब मैं भारत में निवेश की बात करता था, तो लगभग किसी की दिलचस्पी नहीं थी। आजकल, भारत और उसकी मजबूत वृद्धि के बारे में सीखने में रुचि बढ़ रही है।

चुनाव और बाजार

चुनाव अनिश्चितता पैदा करते हैं। भले ही इस बार नतीजे स्पष्ट हों, लेकिन यह तब तक खत्म नहीं होता जब तक यह खत्म नहीं हो जाता।

बाजार की स्थिति

राजीव अग्रवाल ने बताया कि हम यथास्थिति के अनुसार तैयारी कर रहे हैं। साथ ही बाजार में गिरावट की स्थिति में कुछ कैपिटल भी अलग रखते हैं।

बाजार परफॉर्मेंस की संभावना

चुनाव के बाद बाजार 20% ऊपर जाने की संभावना 25% से कम है। बाजार में 20% की गिरावट की संभावना लगभग 25% है। 2024 के लिए संभावित रिटर्न रेंज एकल अंकों के हाई से लेकर दोहरे अंकों के सबसे कम तक हो सकती है।

राजीव अग्रवाल के अनुसार, अमेरिकी बाजारों में मंदी की आशंका है। कई दिग्गज चिंता जता रहे हैं कि चीजें अच्छी नहीं हैं। “लंबे समय तक ऊंचा रहना” एक वास्तविकता है। वहीं, भारत के लिए खतरे पर बात करते हुए बोले कि कच्चे तेल की कीमतों का बेकाबू होना, भारतीय निर्यात में गिरावट और नई सरकार की नीति को खतरा बताया है। उन्होंने बड़े बदलावों की बात की है।

वॉरेन बफे पसंदीदा दांव

बैंकिंग और फाइनेंशियल। लोन का अवसर बड़ा है। प्राइवेट कैपिटल एक्सपेंडिचर वापस आ रहा है। अर्थव्यवस्था में कई क्षेत्रों को लोन की आवश्यकता होती है- एसएमई, व्यक्ति, बुनियादी ढांचा, विशेष रूप से बिजली आदि। बैंक बड़े लोन देंगे, नॉन-बैंक छोटे लोन की पूर्ति करेंगे।

Source link

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Most Popular

To Top