राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (NCLAT) ने रियल्टी फर्म रेडियस एस्टेट के कर्ज समाधान के लिए अडानी गुडहोम्स की तरफ से पेश प्रस्ताव को मंजूरी देने वाले आदेश को सही ठहराया है। अडानी गुडहोम्स ने इस समाधान योजना में कर्जदाताओं के लिए बकाया कर्ज का 93 प्रतिशत नुकसान झेलने (हेयरकट) का प्रस्ताव रखा है।
NCLAT के चेयरमैन की अगुवाई वाली पीठ ने समाधान योजना से असहमति जताने वाले दो कर्जदाताओं की याचिकाएं खारिज कर दीं। पीठ ने कहा कि कर्जदाताओं की समिति (सीओसी) ने कॉमर्शियल समझ के आधार पर प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। उसने कहा कि प्रस्ताव को स्वीकृत करने वाले एनसीएलटी के आदेश में दखल देने की कोई मंशा नहीं है।
2022 में मिली थी मंजूरी
बता दें कि राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) की मुंबई पीठ ने नौ जनवरी, 2022 को अडानी रियल्टी की इकाई अडानी गुडहोम्स की तरफ से पेश समाधान योजना को मंजूरी दी थी। समाधान योजना को कर्जदाताओं की समिति में 83.99 प्रतिशत मत मिले थे और उसे एनसीएलटी ने अनुमोदित किया था। इसके तहत रेडियस की आवासीय परियोजना में फ्लैट बुक कराने वाले लगभग 700 घरीदारों को कीमत में किसी वृद्धि के बगैर कब्जा मिल रहा था। हालांकि, दो वित्तीय कर्जदाताओं- बीकॉन ट्रस्टीशिप और आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल वेंचर कैपिटल फंड रियल एस्टेट ने इस योजना का विरोध किया था।
अडानी गुडहोम्स का यह था प्रस्ताव
मीडिया में आई खबरों के मुताबिक अडानी गुडहोम्स ने 1700 करोड़ रुपये के बकाया दावे के मुकाबले 76 करोड़ रुपये का भुगतान करने का ही प्रस्ताव रखा था। लेकिन उसने अटकी हुई परियोजना को पूरा करने की बात कही थी। रेडियस एस्टेट के खिलाफ कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया शुरू करने की मंजूरी 30 अप्रैल, 2021 को एनसीएलटी ने दी थी।
बता दें कि संजय छाबड़िया के स्वामित्व वाली रेडियस एस्टेट्स एंड डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड ने टेन बीकेसी के तहत अपार्टमेंट बनाने के लिए मुंबई के बांद्रा (पूर्व) में भूमि का पुनर्विकास करने के लिए एमआईजी (बांद्रा) रियलटर्स एंड बिल्डर्स प्राइवेट लिमिटेड के साथ साझेदारी की थी। यह डीबी रियल्टी ग्रुप ऑफ कंपनीज का एक हिस्सा है। हालांकि, बाद में इस परियोजना को रोक दिया गया।