ट्रेन देरी से चल रही है, समय पर ट्रेन नहीं आती है, आउटर पर ट्रेन खड़ी हो जाती है, बहुत धीरे ट्रेन चल रही है। ऐसे शब्द आपने ट्रेन में सफर के दौरान कई बार सुने होंगे। अब एक मामला ठीक इसके उल्टा आया है। वो भी देश की पहली सेमी हाई स्पीड ट्रेन गतिमान और मालवा एक्सप्रेस एक्सप्रेस के बारे में है। इन दोनों ट्रेनों के लोको पायलट और सहायक लोको पायलट ने हजारों यात्रियों की जिंदगी को खतरे में डाल दिया। काशन आर्डर को पायलटों ने दरकिनार कर दिया। 20 किमी प्रति घंटा के बदले 120 किमी की रफ्तार से ट्रेनों को दौड़ाने का आरोप लगा है। इसके बाद रेलवे ने कड़ी कार्रवाई की और सस्पेंड कर दिया।
गनीमत रही जिस समय ट्रेन को इतना तेज भगाया गया। उस दौरान किसी भी तरीके की कोई घटना नहीं हुई। जाजऊ से मनिया के बीच दो ट्रेनों में हुए इस घटना से रेलवे के अधिकारी भी हिल गए। दोनों ट्रेनों के लोको पायलट और सहायक लोको पायलट को निलंबित करते हुए विभागीय जांच शुरू हो गई है। चार्जशीट भी दी जा रही है।
जानिए आखिर क्या है पूरा मामला
दरअसल, आगरा कैंट के पास जाजौ और मनियां रेलवे स्टेशन के बीच के सेक्शन में पुल बनाने का काम चल रहा था। ऐसे में रेलवे ने उस सेक्शन पर ट्रेन की स्पीड 20 किमी/घंटे लिमिट तय कर रखी थी। आम तौर पर उस सेक्शन पर सभी सुपरफास्ट और सेमी-हाई स्पीड ट्रेन को 120 किलोमीटर प्रतिघंटे की स्पीड से चलने की इजाजत है। लेकिन पुल के निर्माण कार्य की वजह से स्पीड कम कर दी गई थी। लेकिन दोनों के लोको पायलट ने इस रूट पर ट्रेन को 120 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ाय। ऐसे में कोई बड़ी अनहोनी हो सकती थी। लिहाजा तय लिमिट से ज्यादा ट्रेन को दौड़ाने के आरोप में लोको पायलट और सहायक लोको पायलट सस्पेंड कर दिया गया है।
सैकड़ों यात्रियों की जिंदगी से खिलवाड़
रेलवे के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि ऐसा लगता है कि वे बताये गए सेक्शन पर ट्रेन की स्पीड धीमी करना भूल गए होंगे। लोको पायलट के लिए यह अप्रत्याशित है और यह एक गंभीर चूक है,। इसकी वजह ये है कि इससे सैकड़ों यात्रियों की जान जोखिम में पड़ सकती थी। रेलवे ऐसी चूकों को बहुत गंभीरता से लेता है। रेलवे इस तरह की चूक को स्वीकार नहीं करता है।