वैसे तो बीते कुछ दिनों से शेयर बाजार हर दिन नया रिकॉर्ड बना रहा है लेकिन चुनावी माहौल में अनिश्चितता के बादल मंडरा रहे हैं। 4 जून को लोकसभा चुनाव के नतीजे के बाद ही शेयर बाजार की दिशा तय हो सकेगी। दूसरी ओर, म्यूचुअल फंड में निवेश करने वाले निवेशक भी असमंजस में हैं क्योंकि उनको घाटा हुआ है और उनका भविष्य अस्पष्ट दिख रहा है।
इस माहौल में मल्टी एसेट फंड ने पिछले एक साल में शानदार रिटर्न दिया है। निप्पॉन इंडिया मल्टी एसेट फंड और एसबीआई मल्टी एसेट फंड ने 32.26% और 28.24% का रिटर्न दिया है। इक्वेशन फाइनेंशियल सर्विसेज के कपिल हुल्कर कहते हैं कि एक सच्चा मल्टी एसेट फंड वह है जिसमें विविध परिसंपत्ति आवंटन पोर्टफोलियो होता है। निवेशकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे एक मल्टी एसेट फंड चुनें जो उनके परिसंपत्ति आवंटन में बदलाव न करे। तभी किसी को मल्टी एसेट फंड का सही लाभ मिलेगा।
बाजार का नियम कहता है कि एसेट क्लास अपने स्वयं के साइकल का पालन करते हैं। ऐसे में भविष्यवाणी करना कभी आसान नहीं होता है। इसलिए झुंड की मानसिकता का पालन करना और अपने पोर्टफोलियो में विविधता न लाना भी निवेश में घाटे का कारण हो सकता है। म्यूचुअल फंड विश्लेषकों का मानना है कि एक अच्छी तरह से विविधीकृत पोर्टफोलियो वाले निवेशक कहीं अधिक सुरक्षित होते हैं। यहीं पर मल्टी एसेट फंड में निवेश करना महत्वपूर्ण है।
मल्टी एसेट फंड का मतलब
मल्टी एसेट फंड हाइब्रिड फंड हैं जो अलग-अलग एसेट क्लास जैसे इक्विटी, डेट, कमोडिटी और अन्य में निवेश करते हैं। सेबी के नियमों के मुताबिक मल्टी एसेट फंडों को अपने एसेट आवंटन में विविधता लाने के लिए तीन या अधिक अलग-अलग एसेट क्लास में से प्रत्येक में अपने कुल एयूएम का न्यूनतम 10% निवेश करना होगा। मल्टी एसेट फंड से अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए निवेशकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि फंड परिसंपत्ति आवंटन मिश्रण में बदलाव नहीं करता है और एक ऐसा फंड है जिसमें विविध परिसंपत्ति आवंटन पोर्टफोलियो है।
उदाहरण से समझें
उदाहरण के तौर पर निप्पॉन इंडिया मल्टी एसेट फंड तीन परिसंपत्ति वर्गों – इक्विटी, कमोडिटी और डेट में निवेश करता है। फंड का अंतरराष्ट्रीय इक्विटी में भी एक्सपोजर है जबकि सेबी ने इस साल 1 अप्रैल से वैश्विक बाजारों में नए एक्सपोजर पर रोक लगा दी है। ऐसे में यह फंड से मौजूदा निवेश चौथे परिसंपत्ति वर्ग के रूप में भी लाभ देता है।