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विदेशी निवेशकों का इंडियन मार्केट्स से हो सकता है मोहभंग : Chris Wood

महंगे वैल्यूएशंस वाले मिडकैप स्टॉक्स ब्लूचिप स्टॉक्स के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। इस वजह से कई फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टर्स (एफपीआई) के पोर्टफोलियो का प्रदर्शन कमजोर है। ग्रीड एंड फियर की नई रिपोर्ट में यह बात कही गई है। क्रिस वुड ने अपनी रिपोर्ट ग्रीड एंड फियर में यह भी कहा है कि दूसरे बाजारों के मुकाबले इंडियन मार्केट्स का बेहतर प्रदर्शन विदेशी निवेशकों को सावधान कर सकता है। हालांकि, इंडियन मार्केट्स में घरेलू निवेश स्ट्रॉन्ग बना हुआ है। उन्होंने यह भी लिखा है कि इंडिया ऐसा उभरता बाजार है, जिसमें विदेशी निवेशकों की दिलचस्पी घट सकती है।

उन्होंने रिपोर्ट में लिखा है, “महंगे मिडकैप स्टॉक्स का प्रदर्शन ब्लूचिप स्टॉक्स के मुकाबले बेहतर बना हुआ है। निवेश का करीब 60 फीसदी हिस्सा मिडकैप स्टॉक्स में जा रहा है, लेकिन मार्केट कैपिटलाइजेशन में इनकी हिस्सेदारी सिर्फ 30 फीसदी है…विदेशी निवेशकों के पोर्टफोलियो के कमजोर प्रदर्शन के पीछे यह एक वजह है।” वुड ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अच्छा प्रदर्शन करने वाले दो प्रमुख सेक्टर्स-प्राइवेट सेक्टर बैंक और आईटी सर्विसेज में विदेशी निवेशकों की ज्यादा हिस्सेदारी रही है। निफ्टी में भी इनकी अच्छी हिस्सेदारी है। लेकिन, पिछले कुछ समय से इनका प्रदर्शन कमजोर है।

2024 की शुरुआत से ही फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टर्स (FPI) इंडियन मार्केट्स में बिकवाली कर रहे हैं। उन्होंने शुद्ध रूप से 3 अरब डॉलर से ज्यादा की बिकवाली की है। मई 2023 के हाई लेवल से निफ्टी प्राइवेट बैंक इंडेक्स का प्रदर्शन निफ्टी 50 के मुकाबले 14 फीसदी तक कमजोर रहा है। मार्च 2019 के मुकाबले यह 30 फीसदी तक कमजोर है। निफ्टी आईडी इंडेक्स का प्रदर्शन फरवरी के मध्य से निफ्टी के मुकाबले 15 फीसदी तक कमजोर रहा है। दिसंबर 2021 के हाई के मुकाबले प्रदर्शन 34 फीसदी तक कमजोर है।

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि प्राइवेट सेक्टर के बैंक ग्रीड एंड फियर पोर्टफोलियो का हमेशा हिस्सा रहे हैं। 2002 की तीसरी तिमाही से इनका प्रदर्शन अच्छा रहा है। इनका 22 साल की अवधि में पोर्टफोलियो के बेहतर प्रदर्शन में बड़ा हाथ रहा है। अब यह कहा जा रहा है कि प्राइवेट बैंकों के अच्छे दिन बीत चुके हैं। इसकी एक वजह यह है कि बेस्ट कस्टमर्स प्राइवेट बैंकों के पास आ चुके हैं। उधर, सरकारी बैंक अब काफी प्रतिस्पर्धी हो गए हैं। अब भी डिपॉजिट में उनकी 61 फीसदी हिस्सेदारी है।

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