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मई में हरियाली तो फिर क्यों बिकवाली!

 

अगर 4 जून को लोकसभा चुनाव के नतीजे उम्मीदों के मुताबिक आते हैं और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) तो सत्ता का तीसरा कार्यकाल मिलता है तो ‘सेल इन मे ऐंड गो अवे’ यानी मई में बेचो और निकल जाओ की रणनीति मई 2024 के शेष कारोबारी दिनों के लिए कारगर नहीं हो सकती है।

हालांकि कई राजनीतिक पंडित और बाजार विश्लेषक इस पर नजदीकी नजर लगाए हुए हैं कि एनडीए 3.0 लोकसभा में कितनी सीटों पर जीतता है। लेकिन उनका कहना है कि सुधार प्रक्रियाओं/नीतियों की निरंतरता और आगामी संपूर्ण बजट आगामी महीनों में बाजारों के लिए बेहद महत्वपूर्ण होंगे। उनका मानना है कि इससे बाजार धारणा मजबूत बनी रह सकती है बशर्ते अन्य घरेलू आर्थिक संकेतको और वैश्विक संकेतक मददगार बने रहें।

इक्विनॉमिक्स रिसर्च के संस्थापक चोकालिंगम जी के अनुसार मौजूदा स्तरों पर लार्जकैप शेयर बेचना उचित नहीं है। उनका मानना है कि सेंसेक्स का पिछला पीई अनुपात अभी भी अनुकूल दायरे में बना हुआ है और भारत की वृद्धि की स्थिति आशाजनक दिख रही है।

उन्होंने कहा, ‘यदि बाजार गिरता है या बड़ा उतार-चढ़ाव आता है तो यह मध्यावधि-दीर्घावधि निवेश के लिए अच्छा अवसर होगा। भारत की ग्रोथ स्टोरी, नए निवेशकों का बड़े पैमाने पर प्रवेश और घरेलू म्युचुअल फंडों के बढ़ते दबदबे से आगे के चार साल और मजबूत तेजी को बढ़ावा मिलेगा।’

सरकार को भी उम्मीद है कि भारतीय शेयर बाजार में तेजी की रफ्तार बनी रहेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल में एक साक्षात्कार में कहा था कि भारतीय शेयर बाजार 4 जून को चुनाव के नतीजे आने पर पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ देंगे। 4 जून को चुनाव के नतीजों की घोषणा की जाएगी। इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने निवेशकों को 4 जून से पहले शेयर खरीदने की सलाह दी थी।

इतिहास पर एक नजर

पारंपरिक तौर पर मई का महीना इक्विटी बाजारों, खासकर यूरोप और अमेरिका के लिए प्रतिकूल माना जाता है क्योंकि फंड प्रबंधक अक्सर गर्मी की लंबी छुट्टी पर चले जाते हैं। इसलिए कहावत प्रचलित हो गई है कि ‘मई में बेचो और निकल जाओ’।

हालांकि भारत में पिछला दशक मई में शेयर बाजारों के लिए आम तौर पर अनुकूल रहा अगर 2020 को छोड़ दें तो सेंसेक्स ने मई 2013 से सकारात्मक प्रतिफल दिया है, जब महामारी के कारण अनिश्चितताओं से बाजार की धारणा पर असर पड़ा। इसके बाद मई 2022 में भी ऐसा ही हुआ। मोदी के नेतृत्व वाले राजग की जीत के बाद मई 2014 में सेंसेक्स 8 प्रतिशत चढ़ गया था जो पिछले दशक में मई महीने में सर्वाधिक तेजी है।

एएसके हेज सॉल्युशंस के मुख्य कार्याधिकारी वैभव सांघवी के अनुसार लोकसभा चुनाव परिणामों से जुड़ी अनिश्चितता के आधार पर किसी के पोर्टफोलियो का अंदाजा लगाना दीर्घकालिक निवेशकों के लिए कोई मायने नहीं रखता है। उन्होंने कहा, ‘दीर्घावधि नजरिये से भारत की स्थिति मजबूत बनी हुई है और मेरी नजर में निवेशकों को अल्पावधि घटनाओं के आधार पर निर्णय नहीं लेने चाहिए। अल्पावधि कारोबारियों के लिए किसी भी घटना से पहले हमेशा सतर्क रहने की सलाह दी जाती है, चाहे परिणाम कितना भी निश्चित क्यों न हो।’

मई 2024 में अब तक लोकसभा चुनाव संबंधित अनिश्चितता से धारणा सतर्क बनी हुई है और सेंसेक्स का रिटर्न इस अवधि के दौरान कुछ हद तक कमजोर बना हुआ है। हालांकि बीएसई स्मॉलकैप और बीएसई मिडकैप सूचकांकों ने बेहतर प्रदर्शन किया है।

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