Demat Account Charges: कोविड महामारी के बाद शेयर बाजार को लेकर आम लोगों का रुझान बढ़ा है। यही वजह है कि डीमैट अकाउंट खोलने वाले लोगों की संख्या में बढ़ोतरी भी हो रही है। इन दिनों, डीमैट अकाउंट खोलना और ऑपरेट करना बहुत आसान हो गया है। मोबाइल ट्रेडिंग ऐप्स के जरिए आप मिनटों में डीमैट अकाउंट खोलकर ट्रेडिंग शुरू कर सकते हैं। ये मोबाइल ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म अपने ग्राहकों को लाइव पोर्टफोलियो समीक्षा, बाजार अपडेट, स्टॉक प्राइस अलर्ट, रियल टाइम मार्केट न्यूज अपडेट, नोटिफिकेशन अलर्ट, इंट्राडे टिप्स जैसी सुविधाएं भी देते हैं। इसके जरिए निवेशकों को सूझबूझ के साथ शेयरों की खरीद-बिक्री करना आसान हो जाता है। हालांकि, डीमैट अकाउंट से जुड़े कुछ चार्जेज भी लगते हैं, जिसके बारे में ज्यादातर लोग समझ नहीं पाते हैं। आइए इसकी डिटेल जान लेते हैं।
कैसे खुलता है अकाउंट
डीमैट अकाउंट खोलने के लिए, आपको सबसे पहले एक डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट (डीपी) चुनना होगा। ये आम तौर पर ब्रोकरेज फर्म या बैंक होते हैं जो अपने साथ डीमैट खाता खोलने का ऑप्शन प्रोवाइड करते हैं। इसके बाद आप डीपी के दिशानिर्देशों का पालन करते हुए जरूरी दस्तावेज स्वयं अपलोड कर सकते हैं या डीपी के रिलेशनशिप मैनेजर से सहायता ले सकते हैं। कॉम्पिटिशन को देखते हुए भारत में कई डीपी बिना किसी लागत के डीमैट अकाउंट खोल दे रहे हैं। हालांकि, डीपी आमतौर पर डीमैट खातों के लिए एनुअल मेंटेनेंस चार्ज लेते हैं। यह चार्ज अलग-अलग हो सकता है।
ट्रांजैक्शन शुल्क
बता दें कि ट्रेडिंग के लिए आपका डीमैट अकाउंट ओपन होने के बाद आप उसमें पैसे जमा कर ट्रेडिंग शुरू कर सकते हैं। जब आप शेयर खरीदते या बेचते हैं, तो आपका ब्रोकर कुल ट्रांजैक्शन वैल्यू से रकम का एक प्रतिशत काट लेगा। कुल ट्रांजैक्शन वैल्यू की परवाह किए बिना कुछ ब्रोकर एक निश्चित शुल्क ले सकते हैं। उदाहरण के लिए यदि आपके ट्रांजैक्शन का मूल्य ₹1,00,000 है तो ब्रोकर कुल लेनदेन मूल्य के 0.10% के बजाय केवल ₹20 चार्ज कर सकता है, जो कि ₹100 होगा।
ब्रोकर ट्रांजैक्शन चार्ज
बता दें कि ब्रोकर आम तौर पर अपने ट्रांजैक्शन चार्ज को आपके लेनदेन के मूल्य पर आधारित करते हैं। भले ही आप महत्वपूर्ण लाभ कमाते हों या भारी नुकसान उठाते हों, ट्रांजैक्शन चार्ज वही रहता है। इक्विटी ट्रेडिंग में आपके पास यह चुनने की सुविधा होती है कि आप कितने शेयर खरीदना या बेचना चाहते हैं। हालांकि, डेरिवेटिव ट्रेडिंग में ट्रांजैक्शन लॉट आकार में किए जाते हैं। यह आईपीओ के समान है, जहां व्यक्तिगत शेयर खरीदना संभव नहीं है।
ट्रांजैक्शन चार्ज के संबंध में, ब्रोकर आम तौर पर या तो एक निश्चित शुल्क लेते हैं या इक्विटी सेगमेंट में कुल लेनदेन राशि का एक प्रतिशत लेते हैं। डेरिवेटिव सेगमेंट में, लेनदेन शुल्क प्रति-लॉट के आधार पर लिया जाता है।