भारतीय दवा निर्माता कंपनी ल्यूपिन लिमिटेड को अमेरिकी बाजार रेगुलेटर से झटका लगा है। अमेरिकी फूड एंड ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने ल्यूपिन की न्यू जर्सी स्थित Somerset मैन्युफैक्चरिंग प्लांट का 7 मई से 17 मई, 2024 तक प्री-अप्रूवल इंस्पेक्शन किया। इंस्पेक्शन के बाद FDA ने कंपनी को फॉर्म-483 जारी किया है, जिसमें छह टिप्पणियां दर्ज हैं।
फॉर्म-483 का जारी होना यह दर्शाता है कि FDA इंस्पेक्टर ने रेगुलेटरी महत्व के संभावित उल्लंघनों को देखा है। दूसरे शब्दों में कहें तो FDA के जांचकर्ताओं ने ऐसी परिस्थितियों को देखा होगा जो फूड, ड्रग्स और कॉस्मेटिक (FD&C) एक्ट और संबंधित एक्ट्स के उल्लंघन करती हैं। आमतौर पर कंपनियां ऐसी टिप्पणियों का जवाब डिटेल्ड करेक्टिव एक्शन प्लान के साथ देती हैं। इसका उद्देश्य FDA रेगुलेटरी के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए पहचाने गए मुद्दों का समाधान करना होता है। ल्यूपिन ने कहा कि कंपनी इन टिप्पणियों का व्यापक रूप से जवाब दे रही है और निर्धारित समय सीमा के भीतर FDA को जवाब देगी।
दवाओं को मंजूरी दिलाने में देरी
ल्यूपिन ने बीएसई को अपनी सूचना में बताया है कि यह खुलासा सेबी रेगुलेटरी, 2015 के रेगुलेशन 30 के अनुसार किया गया है। एक्सपर्ट का मानना है कि फॉर्म-483 जरूरी नहीं कि किसी प्रोडक्ट की वापसी या बाजार से बैन का संकेत देता है, लेकिन यह निश्चित रूप से कंपनी के लिए अमेरिकी बाजार में अपनी दवाओं को मंजूरी दिलवाने में देरी का कारण बन सकता है। साथ ही, कंपनी को इन टिप्पणियों का समाधान करने के लिए एक्स्ट्रा रिसोर्सेज लगाने पड़ सकते हैं।
कड़ी कार्रवाई का सामना
यह घटना ल्यूपिन के लिए एक बड़ा झटका है और इससे कंपनी की प्रतिष्ठा और मार्केट वैल्यू पर नेगेटिव प्रभाव पड़ सकता है। यह देखना बाकी है कि ल्यूपिन इन कमियों को कितनी जल्दी और प्रभावी ढंग से दूर कर पाती है और FDA से कितनी कड़ी कार्रवाई का सामना करना पड़ता है। आने वाले दिनों में ल्यूपिन की FDA को दी गई जवाबदेही पर इन्वेस्टर्स की नजर बनी रहेगी।