लोकसभा चुनावों से पहले स्टॉक मार्केट्स में काफी उतारचढ़ाव दिख रहा है। ठीक हफ्ते पहले यानी 9 मई को स्टॉक मार्केट में बड़ी गिरावट आई थी। सेंसेक्स 1000 प्वाइंट्स से ज्यादा गिरा था। 16 मई यानी आज 676 अंक चढ़कर बंद हुआ। एक्सपर्ट्स का कहना है कि लोकसभा चुनावों से पहले स्टॉक मार्केट्स में ज्यादा उतारचढ़ाव आम बात है। उनका यह भी कहना है कि जब तक लोकसभा चुनाव के नतीजे नहीं आ जाते मार्केट चढ़ताउतरता रहेगा। लोकसभा चुनाव के नतीजे 4 जून को आएंगे। सवाल है कि आज आपको 10 लाख रुपये का निवेश करना हो तो कहां पैसे लगाने पर सबसे ज्यादा रिटर्न मिलेगा? मनीकंट्रोल ने यह सवाल मोतीलाल ओसवाल म्यूचुअल फंड के फंड मैनेजर अतुल मेहरा से पूछा।
मेहरा ने कहा कि निवेशकों को लंबी अवधि के एसेट एलोकेशन पर फोकस करना चाहिए। उन्हें लोकसभा चुनाव के नतीजों का इंतजार करना चाहिए। अगर किसी निवेशक को 10 लाख रुपये का निवेश करना है तो उसे करीब 50- 60 फीसदी पैसा लार्जकैप में लगाना चाहिए। बाकी 40 फीसदी का निवेश मिडकैप और स्मॉलकैप में करना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगल चुनावों के बाद फंडों की तरफ से निवेश बढ़ता है तो बैंकिंग सेक्टर का प्रदर्शन बेहतर हो सकता है।
उन्होंने कहा कि फिलहाल म्यूचुअल फंड्स के निवेशक स्मॉलकैप और मिडकैप स्कीमों में ज्यादा दिलचस्पी दिखा रहे हैं। चुनावों के बाद विदेशी फंडों के खरीदारी शुरू करने पर लार्जकैप स्टॉक्स में तेजी दिख सकती है। इंडियन इकोनॉमी की ग्रोथ अब भी बहुत स्ट्रॉन्ग है। आगे भी इकोनॉमी की ग्रोथ स्ट्रॉन्ग बने रहने की उम्मीद है। जहां तक कंपनियों के चौथी तिमाही के नतीजों की बात है तो वे मिलेजुले रहे हैं। बैंकों के नतीजे बेहतर आए हैं लेकिन आगे डिमांड के आउटलुक में बदलाव दिख सकता है।
मार्केट के लिए रिस्क के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि फिलहाल तो सबसे बड़ा रिस्क इलेक्शन के नतीजे दिख रहे हैं। अगर नतीजे मार्केट की उम्मीद के उलट रहते हैं तो बाजार में बड़ी बिकवाली दिख सकती है। अगर केंद्र की मौजूदा सरकार फिर से सत्ता में आती है तो यह बाजार के लिए अच्छा रहेगा। हालांकि, चुनावों के नतीजों से पहले विदेशी संस्थागत निवेशक इंडियन मार्केट में बिकवाली कर रहे हैं। वे अपने सौदे काट रहे हैं।