आम तौर पर सड़कों के किनारे आपने लंबे-लंबे हरे भरे पेड़ देखें होंगे। ज्यादातर ये पेड़ सफेदा के हैं। लोग इन बेकार समझते हैं, लेकिन ये पेड़ बड़े काम के हैं। इनकी खेती से लाखों-करोड़ों रुपये का मुनाफा कमाया जा सकता है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इन पौधों को उगाने में ज्यादा मेहनत नहीं पड़ती है। साथ ही इसकी खेती के लिए खर्च भी मामूली ही होता है। इसके लिए कोई खास जलवायु की जरूरत नहीं पड़ती है। इन्हें कहीं भी उगाया जा सकता है। ये पेड़ सीधा ही ऊपर ही ओर बढ़ते हैं। ऐसे में इन्हें लगाने के लिए ज्यादा जगह की जरूरत नहीं पड़ती है।
पेड़-पौधे और खेती-किसानी से जुड़े काम में सबसे बड़ी चुनौती खाद-पानी और फसलों की देखभाल को लेकर होती है। लेकिन, सफेदा के पेड़ के साथ ऐसा नहीं है, क्योंकि इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसके पौधे को उगाने के लिए ज्यादा मेहनत की जरूरत नहीं पड़ती है। इसके अलावा, इस पेड़ को किसी जलवायु में किसी भी जगह उगाया जा सकता है।
देश के कई राज्यों में होती है सफेदा की खेती
बता दें कि यह ऑस्ट्रेलियाई मूल का पेड़ है, लेकिन भारत में भी इसकी खेती बड़े स्तर पर की जाती है। इसके अन्य नामों के बारे में बात करें तो इसे गम, सफेदा, आदि के नाम से भी जाना जाता है। इन पेड़ों का इस्तेमाल हार्ड बोर्ड, लुगदी, फर्जीचर, पेटियां आदि को बनाने के लिए किया जाता है। भारत में मध्य प्रदेश, बिहार, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, पंजाब जैसे कई राज्यों में इसकी खेती की जाती है। आमतौर पर एक पेड़ की ऊंचाई 40 से 80 मीटर तक हो सकती है। जब भी इन पेड़ों को लगाएं तो एक-दूसरे के बीच डेढ़ मीटर की दूरी रखें। जानकारों का मानना है कि एक हेक्टेयर में सफेदा के 3000 पौधे लगाए जा सकते हैं। इनकी नर्सरी 7-8 रुपये में आसानी से मिल जाती है।
सफेदा से कमाई
सफेदा की लकड़ियों का इस्तेमाल पेटियां, ईंधन, हार्ड बोर्ड, फर्नीचर और पार्टिकल बोर्ड बनाने के लिए किया जाता है। सफेदा के पौधे सिर्फ 5 साल में अच्छी ग्रोथ हासिल कर लेते हैं। इसके बाद इन्हें काटा जा सकता है। एक पेड़ से करीब 400 किलो लकड़ी मिलती है। बाजार में यूकेलिप्टस की लकड़ी 6-7 रुपए प्रति एक किलो के भाव से बिकती है। ऐसे में अगर हम एक हेक्टेयर में 3000 पेड़ लगाते हैं, तो आसानी से 72 लाख रुपये तक कमाई की जा सकती है।