FPIs Selling: विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) ने भारतीय शेयरों को बेचना जारी रखा है। शुक्रवार 10 मई को समाप्त हुए कारोबारी हफ्ते में उन्होंने 2.2 अरब डॉलर (करीब 18,380 करोड़ रुपये) के शेयर बेचे। यह पिछले 16 हफ्तों में उनकी सबसे बड़ी बिकवाली है। यहां तक कि उन्होंने शुक्रवार को भी भारतीय बाजार से पैसा निकालना जारी रखा। ब्लूमबर्ग के आंकड़ों से पता चलता है कि FPIs ने इससे पहले 19 जनवरी 2024 को समाप्त हुए कारोबारी हफ्ते में इससे बड़ी बिकवाली की थी। तब उन्होंने 5 दिनों में 2.4 अरब डॉलर के भारतीय शेयर बेचे थे।
शुक्रवार को FPI ने 25.4 करोड़ डॉलर (करीब 2,100 करोड़ रुपये) की इक्विटी बेची। भारतीय शेयर बाजार में FPIs पिछले सात दिनों से शुद्ध विक्रेता बने हुए हैं। हालांकि, दूसरी ओर घरेलू संस्थागत निवेशकों ने कारोबारी हफ्ते के दौरान 2 अरब डॉलर से कुछ अधिक की खरीदारी की, जिससे बाजार को कुछ राहत मिली।
FPI के भारतीय शेयर बाजार से पैसा निकालने के पीछे कई कारण है। इसमें लोकसभा चुनाव के नतीजों को लेकर चिंता के अलावा, चीन और हांगकांग के शेयर बाजारों का बेहतर प्रदर्शन भी शामिल है। चाइनीद शेयर मार्केट का बेंचमार्क इंडेक्स – शंघाई कंपोजिट – पिछले एक महीने के दौरान 4.5% तक बढ़ गया है। इसी तरह, हांगकांग का हैंग सेंग पिछले एक महीने में 13.4% बढ़ा है। इसकी तुलना में बेंचमार्क निफ्टी-50 में इस अवधि के दौरान 2.1% की गिरावट आई है।
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा, “जब तक चीन और हांगकांग के बाजारों का इस तरह बेहतर प्रदर्शन जारी रहेगा, FPI की बिकवाली जारी रहने की संभावना है।”
इसके अलावा, भारत और दूसरे शेयर बाजारों के बीच वैल्यूएशन गैप भी हाल में काफी बढ़ा है। ब्लूमबर्ग के आंकड़ों के मुताबिक, निफ्टी फिलहाल में अगले साल की अपनी अनुमानित कमाई के 19.2 गुना पर कारोबार कर रहा है, जबकि शंघाई कंपोजिट इंडेक्स का वैल्यूएशन 11.1 गुना है। इसके अलावा, हैंग सेंग अगले साल की अपनी अनुमानित कमाई के 9.2 गुना पर काफी सस्ता कारोबार कर रहा है।