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एंप्लॉयीज बेनिफिट्स देने में बेंगलुरु की कंपनियां सबसे आगे, 70% में ऑफर किया जा रहा ₹5 लाख से अधिक का बीमा

कर्मचारियों को बेनिफिट्स देने के मामले में बेंगलुरु की कंपनियां सबसे आगे हैं। फिर भले ही उनका साइज कुछ भी हो। बेंगलुरु में 70% कंपनियां 5 लाख रुपये से अधिक की बीमा राशि की पेशकश कर रही हैं, वहीं 72% से अधिक कंपनियां मैटरनिटी बेनिफिट्स की पेशकश कर रही हैं। अन्य बड़े शहरों पर नजर डालें तो दिल्ली की 68% कंपनियां 5 लाख रुपये से अधिक के बीमा की पेशकश करती हैं और 63% कंपनियां मैटरनिटी बेनिफिट्स की पेशकश करती हैं।

इसके बाद मुंबई है। प्लम की प्रमुख रिपोर्ट, ‘द स्टेट ऑफ एम्प्लॉई बेनिफिट्स 2024’ से पता चला है कि मुंबई में केवल 60% कंपनियां 5 लाख रुपये से अधिक की बीमा राशि की पेशकश करती हैं। वहीं 62% कंपनियां मैटरनिटी बेनिफिट्स की पेशकश करती हैं।

क्या है क्लेम का साइज

 

अगर बेनिफिट्स के क्लेम्स को देखें तो बेंगलुरु में क्लेम का एवरेज साइज 73,000 रुपये है। दिल्ली में यह 62,375 रुपये और मुंबई में सबसे अधिक 92,796 रुपये है। यह सीधे तौर पर जीवन यापन की लागत यानि कॉस्ट ऑफ लिविंग की पुष्टि करता है। इन तीनों शहरों में कॉस्ट ऑफ ​लिविंग इस तरह है…

बेंगलुरु- 1,29,564 रुपये (4 लोगों के परिवार के लिए, किराया छोड़कर)

मुंबई- 1,10,233 रुपये (4 लोगों के परिवार के लिए)

दिल्ली- 1,12,000 रुपये (4 लोगों के परिवार के लिए)

कर्मचारियों को सबसे अच्छे बेनिफिट्स की पेशकश फाइनेंशियल सर्विसेज, आईटी सर्विसेज, कंसल्टिंग बिजनेस, SaaS कंपनियों और सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट फर्म्स से होती है। रिपोर्ट के अनुसार, कार्डियोवैसक्युलर यानि दिल की बीमारी को लेकर सबसे अधिक दावे सामने आते हैं। इसके बाद कैंसर, चोट और मैटरनिटी और संबंधित जटिलताओं का स्थान आता है। द नेशनल हेल्थ प्रोफाइल 2022 के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में विशेष रूप से सांस संबंधी समस्याएं अधिक देखी जा रही हैं, जबकि बेंगलुरु और मुंबई में दिल की बीमारी संबंधी समस्याएं सबसे अधिक हैं।

बढ़ रही है हेल्थकेयर की लागत

प्लम के को-फाउंडर और सीईओ अभिषेक पोद्दार का कहना है, ‘लाइफस्टाइल संबंधी बीमारियां और हेल्थकेयर की लागत बढ़ रही है। शहर के आधार पर, सामान्य बीमारियों के लिए भी हेल्थकेयर की लागत 2-3 गुना तक बढ़ सकती है। जो कंपनियां परवाह करती हैं, उन्हें स्थायी लाभ तैयार करते समय रहने की लागत, हेल्थकेयर और वेतन सीमा को भी ध्यान में रखना होगा। यह कर्मचारियों को मानसिक शांति देने में काफी मदद करेगा।’

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के कंज्यूमर पिरामिड हाउसहोल्ड सर्वे (CMIE-CPHS) के आंकड़ों के अनुसार, नवंबर 2022 तक भारतीय परिवारों ने हेल्थकेयर से संबंधित खर्च को लेकर 12 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए। इसमें शहरी भारत से खर्च का आंकड़ा 42.3% और ग्रामीण भारत से 57.7% था। वित्त वर्ष 2022 तक औसत भारतीय परिवार ने हेल्थकेयर पर 3632 रुपये खर्च किए। वर्ल्ड बैंक के आंकड़ों से पता चला है कि भारत में हेल्थकेयर पर लगभग 55% खर्च अपनी जेब से किया जाता है। यह चिंताजनक है क्योंकि स्वास्थ्य संबंधी एक बड़ी आपात स्थिति भी किसी परिवार को दिवालियापन की ओर ले जा सकती है।

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