इस हफ्ते मार्केट में आई तेज गिरावट ने चौंकाया है। हालांकि, अब भी यह माना जा रहा है कि लोकसभा चुनावों के नतीजों के बाद मार्केट में तेजी आएगी, क्योंकि लिक्विडिटी की कमी नहीं है। एक साल से ज्यादा समय से यह देखा गया है कि मार्केट में करेक्शन टिक नहीं पाया है। कई इनवेस्टर्स इससे मौजूदा लेवल पर खरीदारी के लिए तैयार हैं। शॉर्ट टर्म में मार्जिन से जुड़ी लिक्विडिटी को लेकर समस्या हो सकती है।
शेयरों की कीमतों में तेज गिरावट के बाद कई ट्रेडर्स को या तो अतिरिक्त मार्जिन चुकाना होगा या अपनी पॉजिशन स्केवयर-ऑफ करनी होगी। ट्रेडर्स के अपने सौदे काटने की उम्मीद ज्यादा है, क्योंकि लोकसभा चुनावों से पहले मार्केट में बड़ी तेजी की उम्मीद कम है। फिलहाल खबरें अच्छी नहीं आ रही है। आरबीआई ने एनबीएफसी को 20,000 से ज्यादा कैश लोन नहीं देने को कहा है। इसका असर एनबीएफसी स्टॉक्स पर दिखा है।
सीमेंट कंपनियों को अप्रैल में कीमतों में की गई वृद्धि वापस लेने को मजबूर होना पड़ा है। इसकी वजह कमजोर डिमांड है। ब्रोकरेज फर्म नुवामा ने अपनी रिपोर्ट में इस बारे में बताया है। लोकसभा चुनाव, मजदूरों की कमी, तेज धूप और पानी की कमी का असर कंस्ट्रक्शन एक्विटविटीज पर पड़ा है। अच्छी बात यह है कि इनपुट कॉस्ट के स्थिर बने रहने की उम्मीद है। सीमेंट स्टॉक्स पर दांव लगाने वाले बुल्स के लिए यह खबर अच्छी नहीं है कि अब कीमतों में अच्छी वृद्धि लोकसभा चुनावों के नतीजों के बाद ही देखने को मिलेगी।
अमेरिका में डिमांड बढ़ने के संकेत हैं। कैपेसिटी यूटिलाइजेशन बढ़ने से इसका पता चलता है। SMIFS ने अपनी रिपोर्ट में इस बारे में बताया है। यूरोपीय मार्केट्स से अच्छे संकेत मिले हैं। वहां केमिकल बिजनेस कॉन्फिडेंस 9 महीनों के हाई पर पहुंच गया है। रिस्क यह है कि चीन में भी केमिकल का प्रोडक्शन बढ़ रहा है। इससे डंपिंग का खतरा दिख रहा है।
मार्च तिमाही के अच्छे नतीजों के बावजूद Kalptaru Projects के स्टॉक्स में गिरावट आई है। बुल्स की दलील है कि रेवेन्यू में अच्छी ग्रोथ के साथ कंपनी की ऑर्डर बुक 584 करोड़ रुपये की है। मैनेजमेंट की गाइडेंस और कमेंट्री पॉजिटिव रही है। उधर, बेयर्स की दलील है कि सब कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि कंपनी ऑर्डर किस तरह से एग्जिक्यूट करती है।
चौथी तिमाही में नेट प्रॉफिट और रेवेन्यू बढ़ने के बावजूद Tata Power के स्टॉक्स में गिरावट आई। बुल्स का कहना है कि पावर का डिमांड आउटलुक अच्छा दिख रहा है। टाटा पावर जैसी डायवर्सिफायड पावर कंपनियों को इसका फायदा मिलेगा। बेयर्स की दलील है कि कंपनी के रिन्यूएबल एनर्जी बिजनेस के प्रॉफिट पर असर पड़ सकता है। ब्रोकरेज फर्म CLSA ने अपनी रिपोर्ट में इस बारे में बताया है। उधर, जेएम फाइनेंशियल का कहना है कि कंपनी की वैल्यूएशन आगे भी ज्यादा बनी रहेगी।
मार्च तिमाही के नतीजे अनुमान के मुकाबले बेहतर रहे। कंपनी के नए प्रोडक्ट्स लॉन्च के लिए अच्छी डिमांड है। प्रभुदास लीलाधर ने इस वजह से कंपनी की ग्रोथ अच्छे बने रहने की उम्मीद जताई है। कंपनी नए देशों में एक्सपोर्ट पर फोकस कर रही है। उधर, Emkay के एनालिस्ट्स का कहना है कि मार्च तिमाही में साल दर साल आधार पर EBITDA बढ़ा है। लेकिन, मार्जिन फ्लैट रहा है। इसकी वजह एंप्लॉयीज और दूसरे खर्च में वृद्धि है।