कोटक महिंद्रा बैंक हाल में खराब खबरों की वजह से सुर्खियों में था। आरबीआई ने बैंक के आईटी सिस्टम में कई तरह की कमियां पाए जाने के बाद इसकी कुछ सेवाओं पर रोक लगा दी थी। अब कोटक महिंद्रा बैंक के सीनियर अफसर केवीएस मणियन ने इस्तीफा दे दिया है। बैंक में प्रॉब्लम नई नहीं है। इसकी शुरुआत 2013 में हो गई थी। तब आरबीआई ने कोटक महिंद्रा बैंक को प्रमोटर की हिस्सेदारी (कोटक बैंक में) घटाकर 15 फीसदी या इससे कम करने को कहा था। इसके पीछे मकसद बैंक के प्रमोटर्स और मैनेजमेंट को अलग-अलग करना था। लेकिन, बैंक के तत्कालीन एमडी और सीईओ उदय कोटक ने आरबीआई के इस निर्देश का जमकर विरोध किया था।
इस मामले के कोर्ट में जाने के बाद आखिरकार RBI 2020 में बैंक में 26 फीसदी प्रमोटर हिस्सेदारी पर मान गया। उस साल बाद में दूसरे बैंकों के प्रमोटर्स को भी 26 फीसदी तक हिस्सेदारी बनाए रखने की इजाजत दे दी गई। लेकिन, इससे कोटक बैंक की मुश्किल खत्म नहीं हुई। 2021 में यस बैंक के डूबने के कगार पर पहुंच जाने के बाद RBI ने गाइडलाइंस जारी की। इसमें बताया गया कि किसी प्राइवेट बैंक में प्रमोटर कितने साल तक एमडी और सीईओ के पर रह सकते हैं।
आरबीआई ने कहा कि प्राइवेट बैंक के प्रमोटर 12 साल से ज्यादा वक्त तक बैंक के सीईओ और एमडी के पद पर नहीं रहेंगे। इस 12 साल के बाद 3 साल का अतिरिक्त समय दिया गया। इस तरह उदय कोटक का पद छोड़ना तय था। लेकिन, उन्हें साल 2023 तक पद पर बने रहने की इजाजत दी गई। आखिरकार उन्होंने सितंबर 2023 में बैंक के सीईओ और एमडी पद से इस्तीफा दे दिया।
कोटक के इस्तीफे और बोर्ड में उनके बने रहने के बावजूद कोटक बैंक के लिए समस्या बढ़ने लगीं। तय नियमों का पालन नहीं करने के बाद आरबीआई ने कोटक बैंक को क्रेडिट कार्ड के नए ग्राहक बनाने पर रोक लगा दी। खासकर डिजिटल बैंकिंग चैनल से नए ग्राहक के जोड़ने पर भी रोक लगा दी। इस हफ्ते केवीएस मणियन ने अचानक पद से इस्तीफा दे दिया। अभी यह साफ नहीं है कि मणियन सहित कुछ दूसरे सीनियर अफसरों के इस्तीफा देने की असल वजह क्या है।
सवाल है कि क्या सीनियर अफसरों ने बैंक के नए मैनेजमेंट से असंतुष्ट होने की वजह से इस्तीफे दिए हैं या यह बैंक के कामकाज से जुड़ी किसी गंभीर समस्या की वजह वजह से है? मणियन के इस्तीफे के बाद बैंक का स्टॉक एक दिन में 3 फीसदी तक गिर गया। हाल में आरबीआई ने बैंकों के नियमों का ठीक तरह से पालन नहीं करने पर सख्ती दिखाई है। हालांकि, नियमों के पालन के बाद केंद्रीय बैंक अपनी रोक हटा सकता है। इसका मतलब है कि कोटक बैंक की क्रेडिट ग्रोथ को लेकर दिक्कत थोड़े समय के लिए है।
इसके बावजूद यह सवाल अपनी जगह कायम है कि कोटक महिंद्रा बैंक का कामकाज नए मैनेजमेंट के तहत उस तरह से बढ़ेगा जैसा उदय कोटक के तहत बढ़ा था? हाल में सीनियर अफसरों के इस्तीफे और RBI के कदमों के बाद इस बारे में संदेह पैदा होता है। लेकिन, उदय कोटक के इस्तीफे के बाद कोटक बैंक के तिमाही नतीजों पर किसी तरह का असर नहीं पड़ा है। चौथी तिमाही के नतीजे आने के बाद इस बारे में नए संकेत मिलेंगे।