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मार्केट में उतारचढ़ाव से निवेश का फैसला नहीं ले पा रहे हैं? जानिए लार्ज एंड मिडकैप इंडेक्स फंड आपके लिए क्यों बेस्ट है

बीएसई का प्रमुख सूचकांक बीएसई 75,000 प्वाइंट्स के मनोवैज्ञानिक लेवल के आसपास बना हुआ है। गोल्ड की कीमत रिकॉर्ड ऊंचाई पर है। इस साल इंटरेस्ट रेट्स में कमी के आसार हैं। ऐसा होने पर बॉन्ड्स को मजबूती मिलेगी। इधर, म्यूचुअल फंड की स्कीम में एसआईपी के जरिए पैसे लगाने वाले निवेशकों को पिछले तीन साल में अच्छा रिस्क-एडजस्टेड रिटर्न मिला है। लेकिन, आगे स्टॉक मार्केट में उतार-चढ़ाव की संभावना को देखते हुए कई इनवेस्टर्स फिक्रमंद हैं। इस उतारचढ़ाव की वजह घरेलू और वैश्विक दोनों हो सकती हैं। इनमें लोकसभा चुनावों के नतीजे, मिडिलईस्ट में जारी तनाव और इंटरेस्ट रेट्स को लेकर फेडरल रिजर्व का रुख शामिल हैं। ऐसे में इनवेस्टमेंट पोर्टफोलियो का डायवर्सिफिकेशन जरूरी है। इसके लिए इनवेस्टर्स निफ्टी लार्जकैपमिडकैप 250 इंडेक्स फंड में निवेश के बारे में सोच सकते हैं।

एसेट एलोकेशन के आधार पर लें निवेश का फैसला

मार्केट के उतारचढ़ाव (Market Volatility) के बारे में पक्के तौर पर बताना किसी के लिए मुमकिन नहीं है। कोई सिर्फ अनुमान लगा सकता है। ऐसे में मार्केट में निवेश के लिए सही मौके का इंतजार करने की जगह एसेट एलोकेशन के आधार पर निवेश के फैसले लेना सही स्ट्रेटेजी हो सकती है। यह एसेट एलोकेशन निवेशक के रिस्क लेने की क्षमता और फाइनेंशियल गोल (Financial Goals) पर आधारित होना चाहिए।

निवेशकों के फिक्र की कई वजहें

पिछले साल स्टॉक मार्केट से शानदार रिटर्न हासिल करने के बाद निवेशक शेयरों में निवेश को लेकर थोड़े फिक्रमंद हैं। कंपनियों की कमाई के अनुमान पर आधारित वैल्यूएशन, इंटरेस्ट रेट्स साइकिल और बढ़ते जियोपॉलिटिकल रिस्क इसके कारण हैं। ऐसे साल में जब इंडिया सहित दुनिया के 50 देशों में चुनाव हो रहे हैं, उनके नतीजों की अनदेखी नहीं की जा सकती। इन नतीजों से दुनियाभर में कंपनियों के बिजनेसेज के तरीकों में बदलाव आ सकता है।

जियोपॉलिटिकल टेंशन बढ़ने पर होगी दिक्कत

इधर, जियोपॉलिटिकल टेंशन बढ़ने का असर दुनियाभर में सप्लाई चेन पर पड़ सकता है। युद्ध जैसी स्थिति बनने पर न सिर्फ व्यापार पर असर पड़ेगा बल्कि दुनिया के कई हिस्सों में कमोडिटी की कीमतें बढ़ जाएंगी। इसका असर इनफ्लेशन पर पड़ेगा। इनफ्लेशन बढ़ने पर इंटरेस्ट रेट में कमी के लिए इंतजार बढ़ सकता है। इसका असर मार्केट में लिक्विडिटी पर पड़ेगा। इससे कंपनियों के लिए लोन लेना महंगा बना रहेगा, जिसका असर ग्रोथ पर पड़ सकता है।

लार्जकैप और मिडकैप में निवेश के फायदे

ऐसे में उन कंपनियों के स्टॉक्स में निवेश करना ठीक रहेगा, जो आकार में बड़ी हैं, जिनकी बैलेंसशीट अच्छी है, बिजनेस पूरी तरह स्थापित है और अर्निंग्र ग्रोथ अट्रैक्टिव है। लार्ज और मिडकैप स्टॉक्स में न सिर्फ ये खूबियां शामिल हैं बल्कि उनकी वैल्यूएशन भी स्मॉलकैप के मुकाबले अट्रैक्टिव हैं। पोर्टफोलियो में लार्जकैप स्टॉक्स के शामिल होने से स्टैबिलिटी मिलती है। उधर, पोर्टफोलियो में मिडकैप स्टॉक्स का शामिल होना ग्रोथ के लिए अच्छा है।

फ्लैक्सी-कैप स्कीम है विकल्प

जब इनवेस्टर म्यूचुअल फंड्स के जरिए डायवर्सिफायड लार्जकैप और मिडकैप में निवेश करना चाहता है तो उसके लिए फ्लेक्सी-कैप स्कीम सही होती है। इन स्कीम में लार्जकैप स्टॉक्स की हिस्सेदारी ज्यादा होती है। कुछ मामलों में यह 70 फीसदी तक है। ऐसी कुछ स्कीमों का एलोकेशन स्मॉलकैप स्टॉक्स में भी हो सकता है। एक्टिविली मैनेज्ड लार्ज-कैप और मिडकैप स्कीम को सेलेक्ट करना एक बड़ा काम है। इसकी वजह यह है कि हर साल सबसे अच्छा प्रदर्शन वाली स्कीमों की लिस्ट बदलती रहती है।

लार्जकैप मिडकैप इंडेक्स का रिटर्न

12 अप्रैल, 2024 को खत्म पिछले तीन साल और एक साल की अवधि में एक्टिवली मैनेज्ड ऐसी 50 फीसदी से कम स्कीमों का प्रदर्शन निफ्टी लार्जमिडकैप 250 इंडेक्स (NLM) से बेहतर रहा है। पिछले एक साल और तीन साल में Nifty LargeMidcap 250 इंडेक्स ने क्रमश: 45.9 फीसदी और 22.7 फीसदी रिटर्न दिया है।

लंबी अवधि में अच्छा रिटर्न हासिल करने के लिए भी निफ्टी लार्जमिडकैप 250 इडेंक्स सही है। यह इंडेक्स लार्जकैप और मिडकैप को बराबर वेटेज देता है। इस इंडेक्स में टॉप 100 कंपनियों की 50 फीसदी हिस्सेदारी है बाकी हिस्सेदारी 150 मिडकैप स्टॉक्स की है।

निरंजन अवस्थी

(लेखक एडलवाइज एसेट मैनेजमेंट में एसवीपी और हेड (प्रोडक्ट, मार्केटिंग एंड डिजिटल) हैं)

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