देश में कई सेक्टर में विकास देखने को मिल रहा है। इसमें फार्मा सेक्टर भी शामिल है। इस बीच फार्मा सेक्टर से जुड़े एक्सपर्ट्स का कहना है कि पिछले 10 वर्षों में भारत में क्लिनिकल ट्रायल आसान, अधिक सुलभ और तेज हो गए हैं। उनका कहना है कि ऐसे में टॉप बहुराष्ट्रीय कंपनियां देश को क्लिनिकल ट्रायल के लिए आकर्षक जगह के रूप में देख रही हैं।
क्लिनिकल ट्रायल
वर्ष 2017 से 2023 तक के आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में फेज दो और फेज तीन के क्लिनिकल ट्रायल लगभग 15-18 प्रतिशत की दर से बढ़ रहे हैं। नोवार्टिस के वैश्विक क्लिनिकल परिचालन के प्रमुख बद्री श्रीनिवासन के अनुसार ऐसा मुख्य रूप से ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट 1940 में किए गए 10 संशोधनों के कारण है।
नियमों में बदलाव
नोवार्टिस दुनिया की सबसे बड़ी दवा कंपनियों में से एक है और 2022 में इनकम के लिहाज से चौथी सबसे बड़ी कंपनी थी। श्रीनिवासन ने अमेरिका भारत चैंबर ऑफ कॉमर्स के एक कार्यक्रम में 25 अप्रैल को कहा कि भारत में नियामक नियमों में बदलाव करने लगे हैं। वर्ष 2013 से क्लिनिकल ट्रायल को आसान, अधिक तेज और अधिक सुलभ बनाने के लिए कई संशोधन किए गए हैं।
भारत में कई अवसर
टेकेडा, इंडिया की वैश्विक विकास प्रमुख डॉ. सारा शेख ने कहा कि उनकी कंपनी अब इस बात पर विचार नहीं कर रही है कि भारत में जाना चाहिए या नहीं, अब विचार इस बात पर हो रहा है कि भारत में कब और कैसे जाना चाहिए। शेख ने कहा कि उन्हें भारत में कई अवसर दिख रहे हैं, और कंपनी अगले साल या उसके आसपास एक या दो महत्वपूर्ण परिक्षण की शुरुआत कर सकती है।
इंफ्रास्ट्रक्चर
जीएसके के वैश्विक विकास प्रमुख डॉ. क्रिस्टोफर कोर्सिको ने कहा कि कई कंपनियों ने भारत में एक विशाल इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया है, क्योंकि वहां प्रतिभाशाली आबादी क्लिनिकल ट्रायल का हिस्सा बनने और उसे संचालित करने में मददगार है।