ICICI Securities के कुछ माइनॉरिटी शेयरहोल्डर्स ने कंपनी के खिलाफ क्लास एक्शन मुकदमा दायर किया है। यह मुकदमा इनवेस्टर मनु ऋषि गुप्ता की अगुवाई में नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (NCLT) में ICICI Securities की डीलिस्टिंग योजना को लेकर दायर किया गया है। सोर्सेज के मुताबिक, 100 से अधिक शेयरधारक इस क्लास एक्शन मुकदमे का हिस्सा हैं। इससे पहले खबर आई थी कि शेयरधारकों ने उचित प्रक्रिया का पालन नहीं करने, गलत वैल्यूएशन और डीलिस्टिंग के पक्ष में वोट करने के लिए शेयरधारकों को प्रभावित करने के प्रयासों पर चिंता जताई थी।
माइनॉरिटी शेयरहोल्डर्स के अनुसार, ICICI Securities की वर्तमान वैल्यूएशन 29 जून, 2023 की एक रिपोर्ट पर बेस्ड है। 10 अप्रैल के एक नोट में माइनॉरिटी शेयरहोल्डर क्वांटम म्यूचुअल फंड ने आरोप लगाया था कि ICICI Securities की वैल्यूएशन कंपनी के प्रतिस्पर्धियों से तुलना करके निकाली गई है। वित्त वर्ष 2024 के लिए कनसेंसस अर्निंग्स पूर्वानुमान के आधार पर, कंपनी की वैल्यूएशन उसके सूचीबद्ध प्रतिस्पर्धियों की तुलना में 30-77 प्रतिशत कम आंकी गई है। क्वांटम का कहना है कि अगर प्रतिस्पर्धी कंपनियों की लोएस्ट वैल्यूएशन भी लें, तब भी मर्जर ऑफर कम से कम 30 प्रतिशत अधिक होगा।
मर्जर स्कीम के पक्ष में मतदान के लिए अपनाया गलत तरीका
माइनॉरिटी शेयरहोल्डर्स ने यह भी आरोप लगाया है कि ICICI Securities ने मर्जर स्कीम को लेकर अपने पक्ष में मतदान कराने के लिए अवैध तरीकों का इस्तेमाल किया। मर्जर स्कीम के पक्ष में मतदान करने के लिए शेयरधारकों को कथित तौर पर ICICI Securities की ओर से ICICI Bank ने कॉल किए। मनु ऋषि गुप्ता ने पहले मनीकंट्रोल को बताया था कि इन एक्शंस के कारण माइनॉरिटी शेयरहोल्डर्स के डेटा से भी समझौता किया गया क्योंकि कॉल ICICI Bank द्वारा किए गए थे, न कि ICICI Securities द्वारा। इसका अर्थ है कि शेयरहोल्डर्स की डिटेल, बैंक के साथ साझा की गईं।
28 मार्च को एक बोर्ड बैठक में ICICI Securities ने खुलासा किया था कि संस्थागत निवेशकों में से 83.8 प्रतिशत ने मर्जर स्कीम के पक्ष में मतदान किया। रिटेल इनवेस्टर्स के मामले में केवल 32 प्रतिशत रिटेल शेयरधारक, डीलिस्टिंग के पक्ष में थे।