पिछले काफी समय से Patanjali Yog Peeth Trust (PYT) और Patanjali Ayurved सुर्खियों में रहे हैं। पतंजलि योग पीठ ट्रस्ट ने अपनी वेबसाइट पर बताया है कि वह लोगों के फायदे के लिए योग और प्राणायाम को वैज्ञानिक तरीके से बढ़ावा देती है। उधर, पतंजलि आयुर्वेद अपनी वेबसाइट पर कई तरह के आयुर्वेदिक प्रोडक्ट्स बेचती है। साथ ही वह फूड्स, पर्सनल और हेल्थ केयर प्रोडक्ट्स भी बेचती है। लेकिन, ये कंपनियां कुछ गलत कारणों से सुर्खियों में रही हैं। पहला मामला सुप्रीम कोर्ट से जुड़ा है।
आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने यह माना है कि कोविड के दौरान डायबिटीज, मोटापा, लीवर की बीमारी और यहां तक कि कोविड के इलाज के दावा वाले कंपनी के विज्ञापन ने का कानून का उल्लंघन किया है। सुप्रीम कोर्ट ने कंपनी को सार्वजनिक माफी प्रकाशित करने को कहा। इस मामले में पतंजलि आयुर्वेद के ब्रांड एम्बेसडर बाबा रामदेव और कंपनी के एमडी आचार्य बालकृष्ण दो बार देश की सबसे बड़ी अदालत में हाजिर हो चुके हैं। उन्होंने व्यक्तिगत रूप से कोर्ट से क्षमा मांगी है। लेकिन यह मामला अभी खत्म नहीं हुआ है। इस मामले की अगली सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में 23 अप्रैल को होने वाली है।
योग से जुड़ी सेवाएं सर्विस टैक्स के दायरे में
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के इंतजार के बीच एक दूसरा मामला सामने आया। इसमें सुप्रीम कोर्ट ने 19 अप्रैल को कस्टम्स, एक्साइज एंड सर्विस टैक्स एपेलेट ट्राइब्यूनल (CESTAT) के 5 अक्टूबर, 2023 के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। CESTATA ने अपने आदेश में कहा था कि पतंजलि योग पीठ ट्रस्ट को अपने रेजिडेंशियल और नॉन-रेजिडेंशियल योग कैंप्स पर सर्विस टैक्स चुकाना होगा। ट्राइब्यूनल ने योग कैंप्स को ‘हेल्थ एंड फिटनेस सर्विस’ माना। उसने कहा कि PYT को 4.94 करोड़ का सर्विस टैक्स और इतनी ही पेनाल्टी चुकानी होगी।
2012 में DGCEI ने योग पर सर्विस टैक्स का मसला उठाया था
इस हाई प्रोफाइल मामले में डायरेक्टर जनरल ऑफ सेंट्रल एक्साइज इंटेलिजेंस (DGCEI) ने 2012 में कहा था कि PYT हेल्थ और फिटनेस से जुड़ी सेवाएं उपलब्ध कराती है। उनकी तरफ से न तो किसी तरह का रजिस्ट्रेशन कराया गया है और न ही कंपनी दी जा रही सेवाओं पर किसी तरह का सर्विस टैक्स चुकाती है। इन सेवाओं के लिए डोनेशनन के नाम पर फीस वसूली जाती है। डीजीसीईआई ने माना कि डोनेशन सर्विस के लिए चुकाई जाने वाली फीस है और योग ‘हेल्थ एंड फिटनेस सर्विस’ के तहत आता है।
PYT योग को सर्विस मानने को तैयार नहीं
PYT ने दलील दी कि डोनेशन कैंप में उपलब्ध कराए जाने वाले फूड और दूसरी सुविधाओं के लिए लिया जाता है और योग मुफ्त सिखाया जाता है। कंपनी ने कहा कि उसका मानना है कि इस पर किसी तरह का टैक्स नहीं बनता है। उसने यह भी कहा कि ‘योग’ शब्द का इस्तेमाल हेल्थ और फिटनेस सर्विसेज की परिभाषा में Sauna, steam bath, Turkish bath, Mediation और Massage जैसे दूसरे शब्दों के साथ किया गया है। एक्ट में सिर्फ योग को जनरल बेल-बीइंग के लिए शामिल करना ठीक नहीं है।
सीईएसटीएटी ने अपने आदेश में एडजुकेटिंग अथॉरिटी के एडजुडिकेश ऑर्डर का हवाला दिया है। उसने कहा कि कमिश्नर ऑफ सेंट्रल एक्साइज ने कहा था कि योग जनरल वेल-बीइंग के लिए सर्विस है और यह पूरी तरह से ‘हेल्थ एंड फिटनेस’ सर्विस के तहत आता है।
कानून के हिसाब से योग ‘हेल्थ एंड फिटनेस सर्विसेज’ का हिस्सा
एडजुकेटिंग अथॉरिटी ने योग के पांच जरूरी सिद्धांतों पर व्यापक विचार किया। इन सिद्धांतों में उचित व्यायाम, उचित श्वसन, उचित आराम, उचित भोजन और सकारात्मक सोच शामिल हैं। आदेश में कहा गया कि इन सिद्धांतों की ट्रेनिंग सिर्फ एक्सपर्ट्स की तरफ से दी जा सकती है, जो लंबे प्रशिक्षण के बाद इसके लिए योग्यता हासिल करते हैं। यह भी दलील दी कि इन पांच सिद्धांतों का मकसद जनरल वेल-बीइंग है न कि किसी बीमारी का उपचार। एडजुडिकेशन ऑर्डर में सेंट्रल बोर्ड ऑफ एक्साइज एंड कस्टम्स (CBEC) का भी हवाला दिया गया, जिसमें उन सेवाओं के बारे में विस्तार से बताया गया है जो ‘हेल्थ एंड फिटनेस सर्विसेज’ के तहत आती हैं। योग भी इसका हिस्सा है। यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है। कोर्ट एक तरह से कंपनी की दलील खारिज कर चुका है।