सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार को पतंजलि आयुर्वेद (Patanjali Ayurveda) के खिलाफ भ्रामक विज्ञापन (Misleading Advertisments) मामले की सुनवाई के दौरान बच्चों, शिशुओं और महिलाओं सहित सभी कंज्यूमर्स की सुरक्षा पर जोर दिया। मामले की सुनवाई करते हुए बेंच ने यह पूछा कि पतंजलि ने अखबारों में जो माफीनामा छपवाया है, क्या उसका साइज उसके विज्ञापनों के साइज के बराबर था या नहीं। कोर्ट ने यह भी कहा कि ‘केंद्र सरकार को इस पर जागना चाहिए’ और मामले पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।
सुनवाई के दौरान पतंजलि आयुर्वेद के मैनेजिंग डायरेक्टर, बालकृष्ण ने कहा कि उन्होंने भ्रामक विज्ञापन मामले में अपनी ओर से हुई गलतियों के लिए समाचार पत्रों में बिना शर्त माफी प्रकाशित की है। इस पर बेंच ने रामदेव और बालकृष्ण के वकील से समाचार पत्रों में प्रकाशित माफीनामे का 2 दिनों के भीतर रिकॉर्ड पेश करने को कहा।
साथ ही कोर्ट ने पूछा कि क्या माफीनामे का साइज उनके विज्ञापनों के साइज के बराबर ही था? जस्टिस कोहली ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा, ”अखबारों में प्रकाशित विज्ञापन का कटिंग लेकर आइए और हमें दिखाइए। उसका फोटोकॉपी कराकर साइज बड़ा बनाने से बात नहीं बनेगी। मैं विज्ञापन का वास्तविक साइज देखना चाहता हूं।”
रामदेव और बालकृष्ण की ओर से पेश वकील ने बेंच से कहा कि वे अपनी गलतियों के लिए बिना शर्त माफी मांगते हुए अतिरिक्त विज्ञापन भी जारी करेंगे। दोनों की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने कहा कि उन्होंने सोमवार को देश भर के 67 समाचार पत्रों में माफीनामा प्रकाशित कराया है।
प्रकाशित में माफीनामे में कंपनी ने कहा, “पतंजलि आयुर्वेद माननीय सर्वोच्च न्यायालय की गरिमा का पूर्ण सम्मान करता है। हमारे अधिवक्ता द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के सामने स्टेटमेंट करने के बाद भी विज्ञापन प्रकाशन करने में और प्रेस वार्ता करने में जो भूल हुई, उसके लिए ह्रदय से क्षमा प्रार्थी हैं और हमारी प्रतिबद्धता है कि इस भूल की पुनरावृत्ति नहीं होने देंगे।”
इसमें आगे कहा गया है, “हम आपको पुन: विश्वास दिलाते हैं कि संविधान और माननीय सर्वोच्च न्यायालय की गरिमा को बनाए रखने में हम पूर्ण प्रतिबद्ध रहेंगे।” बेंच ने मामले में आगे की सुनवाई के लिए 30 अप्रैल की तारीख तय की।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट 2022 में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की ओर से दाखिल एक याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद पर कोविड टीकाकरण और आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों के खिलाफ एक दुष्प्रचार अभियान चलाने का आरोप लगाया गया है।